टेस्ट क्रिकेट की असल झलक
पहले टेस्ट मैच के बाद कप्तान विराट कोहली का स्वदेश लौटना, मोहम्मद शमी का चोटिल होकर टीम से बाहर होना, केएल राहुल का चोटिल होना, पहले दो टेस्ट के लिए रोहित शर्मा का टीम में मौजूद ना होना, तीसरे टेस्ट में रवींद्र जडेजा, हनुमा विहारी, रिषभ पंत का घायल होना ये वो तमाम बाधाएं हैं जिन्हें भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पार करते हुए ना सिर्फ दूसरे टेस्ट में शानदार जीत दर्ज की बल्कि तीसरे टेस्ट को ड्रॉ कराकर ऑस्ट्रेलिया की टीम के मनोबल को तोड़ डाला। जिन परिस्थितियों में भारतीय टीम ने अपना जबरदस्त चरित्र दिखाया है उसे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे पन्नों में लिखा जाएगा और आने वाली पीढ़ियों को इसकी मिसाल दी जाएगी कि आखिर क्यों टेस्ट क्रिकेट को बचाए रखने की जरूरत है।
टेस्ट क्रिकेट का बेहतरीन दिन
एक वो दौर था जब वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने पूरे दिन कोलकाता के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को छकाया और ऐतिहासिक पारी खेली। उस वक्त ऑस्ट्रेलिया की टीम विजय रथ पर सवार थी लेकिन सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोक दिया है। कुछ ऐसा ही कारनामा भारतीय टीम ने आज करके दिखाया और पूरे दिन बल्लेबाजी करते हुए मैच को ड्रॉ कराने में सफलता हासिल की। दिलचस्प बात यह है कि आज राहुल द्रविड़ का जन्मदिन है और इस मौके पर अश्विन, पुजारा, विहारी की मजबूत चट्टान जैसी बल्लेबाजी को आने वाले कई दशक तक याद किया जाएगा।
पुजारा-अश्विन-विहारी बने चट्टान
दूसरी पारी में रविचंद्रन अश्विन और हनुमा विहारी की पारी को क्रिकेट के इतिहास में बेहतरीन साझेदारी के तौर पर याद रखा जाएगा। एक तरफ जहां अश्विन ने आउट नहीं होने की जिद ठान रखी थी तो दूसरी तरफ हैमस्ट्रिंग से जूझ रहे हनुमा विहारी ने भी जबरदस्त जुझारूपन का परिचय देते हुए आखिर तक मैदान पर डटे रहे। टेस्ट क्रिकेट में आखिर क्यों खिलाड़ी के मानसिक और शारीरिक क्षमता का परिचय होता है ये सिडनी टेस्ट ने साबित कर दिया है। लंबी रेस के खिलाड़ी की पहचान यही होती है कि वह टेस्ट क्रिकेट में अपनी असल प्रतिभा का लोहा मनवाता है, जिसकी बदौलत आने वाली पीढ़िया उसे हमेशा याद रखती हैं।
131 ओवर तक की बल्लेबाजी
ऑस्ट्रेलिया के 407 रन के पहाड़ जैसे स्कोर का चौथी इनिंग में पीछा करने उतरी भारतीय टीम के रिषभ पंत ने जबरदस्त भूमिका निभाई। उन्होंने जिस तरह से 118 गेंदों पर 97 रनों की तूफानी पारी खेली तो दूसरी तरफ 205 गेंदों पर चेतेश्वर पुजारा ने 77 रनों की धैर्यवान पारी खेली। दोनों के बीच 148 रनों की शानदार साझेदारी हुई। हालांकि दोनों के आउट होने के बाद रवींद्र जडेजा व हनुमा विहारी के चोटिल होने की वजह से इस मैच को बचा पाना भारतीय टीम के लिए लगभग नामुमकिन टास्क था, लेकिन भारतीय टीम ने इस नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया और दूसरी पारी में 131 ओवर तक बल्लेबाजी करके इतिहास बना डाला।
चोट खाकर भी डटे रहे
भारतीय बल्लेबाजों के सामने ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाजों का उछाल भरी पिच पर सामना करना आसान चुनौती नहीं थी। कई बार हनुमा विहारी और आर अश्विन के शरीर पर गेंदों लगी, लेकिन दर्द को सहन करते हुए दोनों ही बल्लेबाज मैदान पर टिके रहे। कप्तान टिम पेन और विकेट के करीब फील्डिंग कर रहे फिल्डरों की स्लेजिंग के बावजूद रविचंद्रन अश्निन ने अपनी एकाग्रता नहीं खोई। कई कैच मैच के दौरान छूटे तो कई कैच नो मैंस लैंड में गिरे लेकिन इन सबका सामना करते हुए भारतीय टीम ने अपने जबरदस्त लड़ने की ताकत का परिचय दिया।