क्रुणाल को लेकर पिता की चिंता का खुलासा-
विजेंद्र सिंह का कहना है की कुणाल के पिता की चिंता यह थी कि वह (क्रुनाल) भारतीय क्रिकेट टीम में खेल पाएंगे या नहीं। आपको बता दें कुणाल पांड्या ने पहले मुकाबले में नंबर 7 पर आते हुए केवल 31 गेंदों पर 58 रनों की सनसनीखेज पारी खेली। और उन्होंने केएल राहुल को भी सेट करने का मौका दिया जिसके बाद इस जोड़ी ने 57 गेंदों पर 112 रनों की साझेदारी की। इतना ही नहीं बाद में भारतीय गेंदबाजी के दौरान कुणाल में संस्करण का भी विकेट लिया। अब कुणाल के पिता की इच्छा के बारे में बात करते हुए कोच ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "कुणाल के कहां है हिमांशु पंड्या अक्सर पूछते रहते थे कि उनका बड़ा बेटा क्या भारतीय क्रिकेट टीम में जा पाएगा। 'ईमानदारी से बताएं भारत के लिए खेल पाएगा? ये खेलेगा?' उनके पिता अक्सर इस तरह की बातें पूछते थे। तो मैं समझ सकता हूं कि क्रुणाल पंड्या की भावनाएं उस मैच में किस तरह की रही होंगी।"
क्रुणाल ने कहा- पापा हर गेंद पर दिल-दिमाग में थे, हार्दिक ने भी भाई को दिया ये मैसेज
यूं ही नहीं हुई थी क्रुणाल की आंखे नम-
कुणाल पांड्या ने अपनी पहली एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अर्धशतक पारी खेलने के बाद अपनी भावनाओं को अनियंत्रित पाया था और ब्रॉडकास्टर से बात करते हुए उनके गालों पर कुछ आंसू थे जो उनकी आंखों से निकले थे। उनके भाई हार्दिक पंड्या ने तब कुणाल को गले लगा लिया जब वह टूट गए थे। उनके पिता को गुजरे हुए कुछ महीने ही हुए हैं। पिता की मौत के बाद से कुणाल ने खुद को भारतीय एकदिवसीय क्रिकेट टीम में लाने के लिए ट्रांसफार्म किया है और इससे पहले उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में कुछ दमदार परफॉर्मेंस भी दी है।
इस वजह से अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए क्रुणाल-
कुणाल और हार्दिक के कोच जितेंद्र उर्फ जीतू भाई ने बताया कि इन दो बच्चों के बचपन में कितनी तकलीफ हो रही है। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि क्रुणाल पंड्या बड़े भाई थे और उनको परिवार की जिम्मेदारियां लेनी पड़ी जिसकी वजह से वह कुछ समय के लिए अपने लक्ष्य से दूर हो गए थे। जितेंद्र इस बारे में बात करते हुए कहते हैं, "हिमांशु भाई का हार्टअटैक पहला झटका था। उसके बाद उनका बिजनेस ठप हो गया। पैसा भी खत्म होता गया। उनका एक सपना था कि कुणाल भारत के लिए खेलें। हार्दिक तब काफी छोटा था। लेकिन आर्थिक परेशानियों के चलते क्रुणाल को अपने लक्ष्य से दूर रहना पड़ा। वह छोटा तो था लेकिन बड़ा बेटा था। जैसे-जैसे साल गुजरते गए तो उनकी समस्याएं और बढ़ती गई। पैसा कहां से आएगा, घर किस तरह चलेगा, किस तरह से मुझे बड़े होने पर एक रेगुलर जॉब मिलेगी? क्रुणाल पंड्या इस तरह की बातों में ही बड़े हुए थे।"