पांचवें दिन का पहला सेशन-
ऐसा लग रहा था मानों दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच यह मैच ना होकर पर्सनल मामला चल रहा हो। रूट अंतिम दिन ऋषभ पंत का विकेट लेने के बाद कुछ ज्यादा ही रिलैक्स हो गए और भारतीय गेंदबाजों ने रन बनाकर अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया। इंग्लैंड के गेंदबाज ऐसे बॉलिंग कर रहे थे मानों किसी युद्ध में उलझे हुए हो। ओली रॉबिंसन ही कुछ ठीक गेंदबाजी कर पाए वरना शुरुआती समय में केवल 2% गेंदें ही फुल लेंथ थी।
अगर आप विकेट लेने से ज्यादा बल्लेबाजों को डराने का प्रयास करोगे तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा और जो रूट की टीम के साथ यही हुआ। जो रूट ने इस मैच में बहुत अच्छी बैटिंग की लेकिन वह कप्तान के तौर पर विफल रहे। उन्होंने एंडरसन को भी काफी देर से गेंदबाजी दी।
मैदान पर जो तनातनी हुई, उसने मैच जीतने का हमारा इरादा पक्का कर दिया- विराट कोहली
चौथे दिन का अंतिम सेशन-
जब चौथे दिन का अंतिम सेशन चल रहा था तब भारतीय बल्लेबाजों को लग रहा था कि अंधेरा थोड़ा ज्यादा है और उन्होंने अंपायरों से खराब रोशनी की शिकायत की। यह वह समय था जब मोईन अली गेंद को काफी तेजी से घुमा रहे थे और बल्लेबाजों को अपनी फिरकी में फंसा रहे थे। जो रूट ने इस नाजुक मौके पर तेज गेंदबाजों को लगा दिया जिसके चलते अंपायर को मैच दिन यहीं पर खत्म करना पड़ा। रूट अगर स्टंप आने की नौबत ना आने देते तो इंग्लैंड को काफी फायदा मिलने जा रहा था।
तीसरे दिन का अंतिम सेशन-
तीसरे दिन के अंतिम सेशन में भी गलती कर दी। उन्होंने जेम्स एंडरसन को अंतिम ओवर की दो गेंदें खेलने के लिए भेज दिया। रूट चाहते तो अंतिम ओवर को निकाल सकते थे और अगले दिन नए सिरे से शुरुआत कर सकते थे जहां संभव था कि इंग्लैंड के लिए थोड़ी और ज्यादा लीड खिंच सकती सकती थी लेकिन रूट ने ऐसा नहीं किया।
यह तीसरे दिन के अंतिम ओवर की शुरुआत थी और रूट ने 3 गेंदें खेली थी लेकिन चौथी गेंद पर सिंगल ले लिया और एंडरसन को स्ट्राइक दे दी। जेम्स एंडरसन भारतीय गेंदबाजों से पहले ही भयभीत थे क्योंकि उनके हेलमेट पर गेंद लगी थी और वह स्ट्राइक लेना नहीं चाहते थे लेकिन रूट ने ऐसा किया और एंडरसन हड़बड़ाहट में आउट हो गए जिसके साथ ही इंग्लैंड की लीड केवल 27 रनों की ही हो पाई।