जावेद मियांदाद ने बंदर की तरह कूदकर भारत को मदारी बना दिया-
जब हम विश्व कप में इन मैचों की बातें करते हैं तो हमें 90 के दशक के दो वाक्यें जरूर याद आते हैं जिन्होंने भारत-पाक प्रतिद्वंदिता की बहुत ही कट्टर नींव रखी थी। आप 1992 के विश्व कप में पीछे मुढ़कर समझना चाहेंगे तो यहां पाएंगे कि भारत और पाकिस्तान पहली बार विश्व कप में यहीं मिले थे। भारत ने सचिन तेंदुलकर के 54 और अजय जडेजा के 46 रनों की बदौलत 49 ओवर में 216 रनों का टारगेट सेट किया था जिसके जवाब में इंजमाम उल हक और जाहिद फजल के विकेट काफी तेजी से गिर गए लेकिन ओपनिंग बल्लेबाज आमिर सुहैल और अनुभवी जावेद मियांदाद ने तीसरे विकेट के लिए 88 रन जोड़ लिए।
जावेद मियांदाद पाकिस्तान के सर्वकालिक महानतम बल्लेबाजों में से एक है और उनको अजीबोगरीब कैरेक्टर के लिए भी जाना जाता है। मियांदाद थोड़े तुनक मिजाज, थोड़े सनकी टाइप के और भारत से बेहतरीन प्रतिद्वंदिता में यकीन रखने वाले खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने इस मैच में बंदर की तरह तीन बार उछलकर किरण मोरे को ऐसे चिढ़ाने की कोशिश की कि आज भी यह वाक्या भारत पाक क्रिकेट मैचों के दौरान हुई घटनाओं में हमेशा याद किया जाता है।
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पाक 1992 का कप जीता पर भारत से हारा-
मियांदाद को विकेट पर टिकते देखकर कीपिंग कर रहे किरण मोरे थोड़े परेशान थे क्योंकि भारत के जीतने के लिए यह विकेट गिरना बहुत जरूरी था और मोरे ने अपने दूसरे तरीकों का इस्तेमाल किया जिससे जावेद मियांदाद का ध्यान भटकता हुआ दिखाई देने लगा। किरण मोरे ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने मुंह पर कीपिंग ग्लब्स रखकर मियांदाद को स्लेजिंग करना शुरू कर दिया। इस मैच में जब सचिन तेंदुलकर मियांदाद को बॉलिंग कर रहे थे तो उनकी लेग साइड पर जाती हुई गेंद पर किरण मोरे ने अपील की और मियांदाद ने कुछ बड़बड़ाना शुरू कर दिया।
लेकिन किरण मोरे कहां मानने वाले थे और उन्होंने उसी ओवर में मियांदाद को रन आउट करने की कोशिश की जबकि मियांदाद क्रीज पर पहुंच चुके थे। उसके बाद जावेद मियांदाद चिढ़ में आ गए और उन्होंने भारतीय विकेटकीपर को चिढ़ाने के लिए तीन बार बंदर की तरह वही क्रीज पर खड़े-खड़े छलांग लगाई और सब उनको ऐसा करते देख कर हैरान रह गए। हालांकि, किरण मोरे की मेहनत धीरे धीरे रंग लाने लगी क्योंकि मियांदाद का ध्यान हटा और उनके आउट होने के बाद पाकिस्तान की पारी 173 रनों पर छह गई जिसके चलते भारत ने यह मुकाबला 43 रनों से जीतने में कामयाबी हासिल की।
हालांकि पाकिस्तान के लिए यह विश्व कप बहुत अच्छा रहा क्योंकि उन्होंने फाइनल तक का सफर तय करते हुए ना केवल इंग्लैंड को हराया बल्कि पहली बार विश्व खिताब भी जीतने में कामयाबी हासिल की।
आमिर सोहेल की हेकड़ी में बना पाकिस्तान का मजाक-
इसके बाद ठीक अगले विश्व कप में भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा ही रोचक और मियांदाद व किरण मोरे के मामले से कहीं अधिक उग्र घटना देखने को मिली। यह भारत और पाकिस्तान का मुकाबला विल्स वर्ल्ड कप में चल रहा था जहां पर आमिर सोहेल भारत द्वारा दिए गए 288 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए तेजी से रन बना रहे थे। और इसी दौरान वे भारतीय तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद से ऐसी उलझे कि अपना आपा ही खो बैठे। यह सब इस मैच के 15 ओवर की बात है जब पाकिस्तान रनों का पीछा करते हुए आमिर सोहेल के साथ चल रहा था। सौहेल तेज फिफ्टी लगा चुके थे और वेंकटेश प्रसाद को आगे बढ़कर कवर क्षेत्र की ओर एक चौका मारकर नहीं रुकने का संकेत दे रहे थे।
सोहेल भारतीय तेज गेंदबाज को बख्शने के मूड में नहीं थे क्योंकि उन्होंने फिर से वेंकटेश प्रसाद को उसी क्षेत्र में चौका मारने की ओर इशारा किया। मजेदार बात यह देखिए कि वेंकटेश प्रसाद की अगली गेंद पर ही आमिर सोहेल के स्टंप की गिल्लियां उड़ चुकी थी। सोहेल ने आगे बढ़कर ठीक ऐसे ही वैसे ही आक्रामक शॉट खेलने की कोशिश की और वेंकटेश प्रसाद की गेंद पर उनकी गलियां बिखर चुकी थी। आमिर सोहेल 46 गेंदों पर 55 रनों की बहुत आक्रामक पारी खेलकर पवेलियन लौटे।
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आमिर ने कहा- मैंने तो कुछ भी नहीं किया
यह घटना लाइव एक्शन में देखने में काफी उग्र लगी और फैंस में भी काफी उत्सुकता पैदा करने वाली थी लेकिन आमिर सोहेल ने कई सालों बाद इसके बारे में जब बात की तो कहा कि वेंकटेश प्रसाद के साथ उनकी कोई बहस नहीं हुई थी। किसी भी तरह के शब्द आपस में नहीं कहे गए थे लेकिन लोगों ने चीजों को अलग तरीके से समझा। आमिर सोहेल ने कहा था कि जावेद मियांदाद अक्सर पाकिस्तानी बल्लेबाजों को बताया करते थे कि जब कोई गेंदबाज आक्रमक हो रहा हो तो आप उस पर हावी होने की कोशिश करो। आमिर का कहना है कि वे प्रसाद को उनकी सटीक लाइन से दूर ले जाना चाहते थे इसलिए यह एक ध्यान भटकाने की कोशिश थी।
आमिर मानते हैं, "कई लोगों का यह सोचना है कि मैंने अपना आपा खो दिया लेकिन यह केवल ध्यान भटकाने की एक कोशिश थी। इसके बाद वेंकटेश प्रसाद ने जो गेंद फेंकी वह अच्छी थी।" आमिर सोहेल का विकेट पाकिस्तान के लिए मैच को खोने वाला विकेट साबित हुआ क्योंकि इसके बाद लगातार इंटरवल पर विकेट गिरते रहे और पाकिस्तान ने 49 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 248 रन बनाए।
वकार यूनुस और वेंकटेश प्रसाद का बिल्कुल उल्टा है कहना-
लेकिन, इसी बारे में वकार यूनुस का कुछ और कहना है। वकार ने भी इस मामले पर काफी सालों बाद बात करते हुए बताया था कि पाकिस्तानी टीम आमिर सोहेल के इस बर्ताव से काफी हैरान थी क्योंकि वे तो आसानी से रन बना रहे थे लेकिन अचानक उनको पता नहीं क्या हो गया? हो सकता है कि दबाव के चलते हुए बिखर गए हो।
इस बारे में वेंकटेश प्रसाद का भी नजरिया सुन लीजिए जिनका कहना यह है कि आमिर सोहेल ने उनको कुछ शब्द कहे जो उनको काफी गुस्सा दिला गए। प्रसाद ने कहा, "पूरी दुनिया देख रही थी और मैदान पर मौजूद दर्शक भी देख रहे थे। मेरा खून खोलने लगा था और हमें विकेट की जरूरत थी।"
विराट कोहली आज भी इस पल को याद करते हुए बताते हैं कि यह क्रिकेट के इतिहास का एक आईकॉनिक पल है।