इंग्लैंड को मनोवैज्ञानिक बढ़त
विश्वकप का दूसरा सेमीफाइनल मैच नम्बर दो और नम्बर तीन की टीम के बीच 11 जुलाई को एजबेस्टन, बर्मिंघम में खेला जाएगा। यानी भारत और इंग्लैंड का मुकाबला बर्मिंघम में होगा। इंगलिश टीम फिर लय में लौट आयी है। घायल जेसन रॉय जैसे ही टीम में लौटे हैं जॉनी बैरिस्टो के साथ उनकी सलामी जोड़ी पहले की तरह दहाड़ने लगी है। जो रूट और बेन स्टोक्स भी लाजवाब फॉर्म में हैं। बटलर ने अभी तक अपना तूफानी तेवर दिखाया नहीं है। अगर वे सेमीफाइनल में विस्फोटक अंदाज अख्तियार कर लें तो कोई अचरज नहीं। जोफ्रा आर्चर और क्रिस वोक्स गेंदबाजी में कहर ढाये हुए हैं। यानी इंग्लैंड की टीम फिलवक्त एक एक कम्प्लीट पैकेज में खेल रही है। लीग मुकाबले में कुछ लड़खड़ाने के बाद इंग्लैंड फिर मजबूती से खड़ा है। इंग्लैंड को एक मनोवैज्ञानिकल लाभ यह भी है कि उसने लीग मैच में भारत को हराया है।
पिछली गलतियों से बचना होगा भारत को
इस लिए सेमीफाइनल में भारत को अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन करना होगा। रोहित शर्मा ने इंग्लैंड के खिलाफ शतक जरूर लगाया था लेकिन उनकी शुरुआत बहुत धीमी हुई थी। भारत ने पहले 10 ओवर में केवल 28 रन बनाये थे। वोक्स ने लगातार तीन ओवर मेडन डाले थे। रोहित, राहुल और कोहली को इससे उबरना होगा। लोअर मिडिल ऑर्डर में धोनी पर हुत दारोमदार रहेगा। धोनी अपना आखिरी विश्वकप खेल रहे हैं। दुआ करें कि वे सेमीफाइनल में एक यादगार पारी खेलें। इंग्लैंड के खिलाफ चहल और कुलदीप नहीं चल पाय़े थे। भारत को अपने बॉलिंग कम्बिनेशन पर भी गौर करना होगा। कोहली एंड कंपनी 1983 से प्रेरणा लें कि कैसे भारत ने मजबूत इंग्लैंड को पटखनी दी थी।
काम न आया इंग्लैंड का नाम
1983 के विश्वकप में भारत और इंग्लैंड के बीच सेमीफाइनल का मुकाबला यादगार मैच है। ये मैच मैनचेस्टर में खेला गया था। उस समय इंग्लैंड के कप्तान बॉब विलिस थे जिनका नाम खतरनाक तेज गेंदबाजों में शुमार था। दिग्गज ऑलराउंडर इयान बॉथम का भी तब बड़ा नाम था। डेविड गावर, माइक गैटिंग और एलेन लैंब जैसे धुरंधर बल्लेबाज टीम का हिस्सा थे। जब भारत सेमीफाइनल में पहुंचा था तब अधिकतर लोगों ने इसे तीर-तुक्का ही समझा था। इंग्लैंड के लोग तो यही मान तक चल रहे थे कि उनकी टीम भारत को आसानी से हरा कर फाइनल खेलने वाली है। लेकिन इंग्लैंड का नाम और रुआब धरा का धरा रह गया।
1983 में भारत ने हराया था इंग्लैंड को
इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी कर 60 ओवरों में 213 रन बनाये थे। इस मैच में कपिल देव, रोजर बिन्नी और मोहिंदर अमरनाथ ने शानदार गेंदबाजी की थी। कपिल को 3, बिन्नी और अमरनाथ को 2-2 विकेट मिले थे। कीर्ति आजाद (दरभंगा के पूर्व सांसद) ने 12 ओवरों में 28 रन देकर एक विकेट लिया था। इंग्लैंड की तरफ से सबसे अधिक 33 रन ग्रीम फ्लावर ने बनाये थे। इसके जवाब में भारत ने 54.4 ओवर में ही केवल चार विकेट खो कर जीत का लक्ष्य हासिल कर लिया। मोहिंदर अमरनाथ ने 46, यशपाल शर्मा ने 61 और संदीप पाटिल ने 51 रनों की पारी खेली थी। संदीप पाटिल ने तो केवल 32 गेंदों में ही 51 रन कूट डाले थे। गावस्कर ने 25 तो श्रीकांत ने 19 रन बनाये थे। इस तरह भारत ने मजबूत इंग्लैंड को हरा कर तब तहलका मचा दिया था।
1987 विश्वकप में हार गया था भारत
विश्वकप के सेमीफाइनल में अब भारत और इंग्लैंड दो बार टकरा चुके हैं। 1983 में इंग्लैंड हार गया था तो 1987 में उसे जीत मिली थी। 1987 का सेमीफाइनल मुम्बई में खेला गया था। इस बार भी इंग्लैंड ने पहले बैटिंग की थी। ग्राहम गूच ने 115 तो कप्तान माइक गैटिंग ने 56 रन बनाये थे। उन्होंने भारतीय स्पिनरों को बेअसर करने के लिए स्विप शॉट खेलने की शानदार रणनीति अपनायी थी। इंग्लैंड ने 50 ओवरों में 6 विकेट पर 254 रन बनाये थे। इस मैच में हैरानी की बात ये रही जिस पिच पर भारतीय स्पिनर असफल रहे उसी पर इंग्लैंड के स्पिनर एडी हेमिंग्स ने कमाल कर दिया। हेमिंग्स ने 9.3 ओवरों में 52 रन दिये और 4 विकेट हासिल किये। एक समय भारत का स्कोर 6 विकेट पर 204 रन था। जीत के लिए केवल 51 रन बनाने थे लेकिन भारत की बल्लेबाजी अचानक ढह गयी। भारत केवल 45.3 ओवर ही खेल पाया और पूरी टीम 219 रनों पर ही ढेर हो गयी। 15 रनों के दरम्यान भारत ने 4 विकेट गंवा दिये। भारत ये मैच आखिरी लम्हों में हार गया था। इस बार भारत को अपनी पुरानी गलतियों से बचना होगा।