नई दिल्ली। डीआरएस यानी डिसीजन रिव्यू सिस्टम को भारत में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में ट्रायल के तौर पर लागू किया गया है। राजकोट में खेले जा रहे भारत और इंग्लैण्ड की 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मैच में इसे लागू किया गया।
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यूं तो इस सिस्टम का बीसीसीआई एक अरसे से विरोध कर रहा था लेकिन राजकोट में खेले जा रहे भारत-इंग्लैण्ड के बीच पहले टेस्ट मैच में इसे लागू किया।
भारत की सरजमीं पर टेस्ट क्रिकेट में पहली बार लागू हुए इस सिस्टम से भारतीय पारी में एक अहम विकेट गिरने से बच गया।
दरअसल, हुआ कुछ यूं कि इंग्लैण्ड के 537 रनों की पहली पारी के जवाब में भारत की तरफ से मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा खेल रहे थे।
गौतम गंभीर के अहम विकेट के गिरने के बाद भारत को एक लंबी साझेदारी की जरूरत थी और ये दोनों ही बल्लेबाज अपना काम बखूबी कर रहे थे।
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चेतेश्वर पुजारा को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू आउट करार दे दिया तो उन्होंने रिव्यू सिस्टम का इस्तेमाल किया। ग्राउंड अंपायर का फैसला गलत निकला और फैसले को फिर से बदला गया।
यूं तो इंग्लैण्ड ने भी अपनी पारी के दौरान डीआरएस सिस्टम का इस्तेमाल किया था लेकिन उसे फायदा नहीं हुआ था।
डीआरएस सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय पारी के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यह ऐसे मौके पर लिया गया जबकि भारत को विकेट बचाने और टिककर खेलने की सबसे ज्यादा जरूरत थी।
जहां तक डीआरएस सिस्टम की बात है तो इस सीरीज की शुरुआत से ठीक पहले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि यह सिस्टम कोई रॉकेट साइंस नहीं है।
उन्होंने कहा था कि एक क्रिकेटर के रूप में आपको समझ होती है, आपको जानकारी होती है कि गेंद पैड से कहां टकराई।
यह सही जगह लगी या नहीं। क्रिकेट की ये सामान्य बातें हैं और इसके लिए कोई अलग से कोर्स करने की जरूरत नहीं है।
बीसीसीआई को अन्य देशों के झुकने की वजह से डीआरएस सिस्टम को घरेलू सीरीज में लागू करने पर सहमत होना पड़ा था। आज के टेस्ट मैच में रैफरल प्रणाली का इस्तेमाल करने से अब इस मैच का रुख भी बदल सकता है।