नई दिल्लीः तेज गेंदबाजों में काफी आग होती है जो वे अपनी बॉलिंग के जरिए बल्लेबाजों के लिए उगलते हैं। कई बार उनमें अपने हाव-भाव में भी आक्रामकता होती है और वे बल्लेबाजों को डराने की कोशिश करते हैं। कुछ गेंदबाज कुछ नहीं बोलते, केवल घूर कर ही बल्लेबाजों को भयभीत करने की कोशिश करते हैं।
एक तेज गेंदबाज क्रिकेट में सबसे ज्यादा ताकत झौंकता है और इसलिए वह काफी आक्रामक भी होता है। हालांकि कई बार बात बिगड़ जाती है और बल्लेबाज तेज गेंदबाजों की इस तरह की हरकतों का बुरा मान जाते हैं और कई बार एक सीन बन जाता है।
भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज युवा हैं और उनमें भी काफी आग देखी जा सकती है। उन्होंने नॉटिंघम में भारत और इंग्लैंड के बीच पहले मुकाबले में जोश से गेंदबाजी की थी। बाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज अंग्रेज बल्लेबाजों को घूर रहा था और उनके खिलाफ आक्रामक व्यवहार दिखा रहा था।
लियोन मेसी के आने से नए क्लब PSG के वारे-न्यारे, खूब बरस रहा है पैसा
भारतीय क्रिकेट के पुराने सितारे दिनेश कार्तिक को लगता है कि यह सब करने की जरूरत नहीं है। कार्तिक को लगता है गेंदबाज का काम पूरा हो जाता है जब वह बल्लेबाज का विकेट लेता है और मोहम्मद सिराज को अपनी आक्रामकता कंट्रोल में रखनी पड़ेगी। कार्तिक यह भी कहते हैं कई लोगों ने तो यह सोचा भी नहीं होगा कि विराट कोहली नॉटिंघम में पहले टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज को शांत करने के लिए आएंगे। उनका मानना है कि यह सिराज के लिए सीखने का दौर है और अंतरराष्ट्रीय करियर में अभी शुरुआत ही है इसलिए यह सब चीजें करने की क्या जरूरत है?
दिनेश कार्तिक का यह भी मानना है कि यह एक नई भारतीय टीम है और भारतीय क्रिकेट में एक नया युग है जिसमें कोई खिलाड़ी किसी से डरता नहीं है और अपने हाव-भाव व्यक्त करता है।
दिनेश कार्तिक कहते हैं कि उनको इन सब चीजों को देखना अच्छा भी लगता है। वे टेलीग्राफ में लिखे अपने कॉलम में बताते हैं कि, मुझे यह बात अच्छी लगती है कि यह टीम किस तरह का क्रिकेट खेल रही है। खिलाड़ी दबे हुए नहीं है और ना ही वह अपने विपक्षियों से डरे हैं। वह शब्दों की छींटाकशी करने में पीछे नहीं है, चाहे आप केएल राहुल को ले लीजिए या फिर मोहम्मद सिराज को। यह एक नई उम्र का भारत है और यह एक नई किस्म के व्यक्तित्व से लैस खिलाड़ी हैं।"
इसके साथ ही दिनेश कार्तिक को लगता है कि हर खिलाड़ी का आक्रामकता को बताने का तरीका अलग अलग होता है। मोहम्मद सिराज और विराट कोहली चीख कर, चिल्ला कर, घूर कर और कई तरह के चेहरे बनाकर अपनी आक्रामकता को बयान करते हैं तो अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा जैसे बल्लेबाज अलग तरीके से इस आक्रामकता को जाहिर करते हैं। खास बात यह है कि इन दोनों ही बल्लेबाजों के चेहरे पर किसी तरह के हाव भाव देखने को नहीं मिलते। यह दोनों विकट परिस्थितियों में भी शांत रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें गुस्सा नहीं है, बस उसको दिखाने का उनका तरीका अलग है क्योंकि उनका व्यक्तित्व अलग है।
कार्तिक निष्कर्ष निकालते हैं, आक्रामकता अलग-अलग रूपों में व्यक्त की जाती है। कोई विराट कोहली जैसा होता है और ऐसे ही सिराज भी हैं, केएल राहुल भी ऐसे ही हैं यह आपके चेहरे पर आपको बता देंगे कि वह क्या सोचते हैं। मैं सीनियर बल्लेबाजों में रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रानी को इस तरह से चीखते चिल्लाते नहीं देखता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें आक्रामकता नहीं है।"