नई दिल्ली। वेस्टइंडीज दौरे पर 3 एकदिवसीय और 5 टी-20 मैचों की सीरीज खेलने पहुंची भारतीय महिला क्रिकेट टीम को उस वक्त मुश्किलों का सामना करना पड़ गया जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ओर से दैनिक खर्चों के लिए भत्ता पहुंचने में देरी का सामना करना पड़ा। वेस्टइंडीज दौरे पर पहुंची भारतीय टीम को बीसीसीआई की नई टीम के गठन के चलते दैनिक भत्ता रिलीज किये जाने में देरी का सामना करना पड़ा। हालांकि जैसे ही इस बात की सूचना बोर्ड को लगी बीसीसीआई ने तुरंत ही मिताली राज के नेतृत्व में वेस्टइंडीज पहुंची महिला क्रिकेट टीम के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिये। भारतीय महिला क्रिकेट के ऑपरेशंस इंचार्ज और जनरल मैनेजर सबा करीम ने दौरे पर निकलने से पहले टीम को यह आश्वासन दिलाया कि वेस्टइंडीज पहुंचने से पहले यह रकम उनके खातों में पहुंच जाएगी, हालांकि इसे पहुंचने में 30 अक्टूबर तक का समय लग गया।
बीसीसीआई के अधिकारी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि वेस्टइंडीज दौरे पर जाने के लिए दैनिक भत्ता जारी करने की प्रक्रिया सीओए के कार्यकाल (18 सितंबर) में शुरू हुई थी। लेकिन बीसीसीआई की नई टीम के गठन के चलते इसे रिलीज किये जाने में देरी का सामना करना पड़ा। जनरल मैनेजर सबा करीम ने 23 सितंबर को इसकी मंजूरी के लिए मेल किया था, लेकिन 24 अक्टूबर तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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बीसीसीआई की नई टीम बनने के बाद ऐसा संयोग बना कि भारतीय महिला टीम विदेश में बिना पैसों के पहुंची, जिसके चलते महिला क्रिकेट टीम के खाते में यह दैनिक भत्ता 30 अक्टूबर को पहुंचा।
ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि जब दैनिक भत्ते के लिए बीसीसीआई की नई टीम के गठन से करीब एक महीने पहले मेल किया गया था तो अप्रूवल में इतनी देरी क्यों लगी। क्या सीओए की टीम फंड रिलीज करने के लिए बीसीसीआई की नई टीम का इंतजार कर रही थी। कारण कुछ भी हो पर सीओए की इस लापरवाही के चलते भारतीय महिला खिलाड़ियों को वेस्टइंडीज में बिना पैसों के रहना पड़ा और समस्याओं का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि जनरल मैनेजर सबा करीम ने 23 सितंबर को मेल भेजने के बाद 25 सितंबर को रिमाइंडर मेल भी भेजा था बावजूद इसके बोर्ड खिलाड़ियों के बारे में सोचने के बजाय सोता रहा।
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आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब सबा करीम ने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के मामले में बोर्ड की लापरवाही को पकड़ा है। इससे पहले महिला टीम के सपोर्ट स्टॉफ के चयन की प्रक्रिया में बरती गई लापरवाही पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे। हालांकि इन सबके बीच बोर्ड विदेशी धरती पर फंसे अपने क्रिकेटरों को सुरक्षित रखने के लिए निश्चित रूप से ऐसी देरी को टाल सकता है जिसका उसे ध्यान देना चाहिये।