ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले आईपीएल का आयोजन
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय खिलाड़ियों के लगातार चोटिल होने के पीछे का एक बड़ा कारण है इस साल कोरोना वायरस के चलते आईपीएल के 13वें सीजन के आयोजन का देरी से होना, जो कि इस सीरीज के शुरु होने से 2 हफ्ते पहले ही समाप्त हुआ। वहीं आईपीएल का 13वां सीजन खेलने पहुंचे भारतीय खिलाड़ी यूएई से सीधा ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिये निकल पड़े और उन्हें लगभग 60 मैचों के इस टूर्नामेंट की थकान से बाहर निकल पाने का मौका नहीं मिल सका।
यही वजह रही कि इतना बड़ा टूर्नामेंट खेलने के बाद जब खिलाड़ियों को एक लंबी सीरीज खेलनी पड़ी तो ज्यादातर प्लेयर्स की फिटनेस ने जवाब दे दिया। कुछ वक्त पहले ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर ने भी भारतीय खिलाड़ियों के लगातार चोटिल होने के पीछे आईपीएल के आयोजन के समय को कारण बताते हुए कहा था कि मुझे भी यह लीग काफी पसंद है, जैसे हम अपने टैलेंट को पॉलिश करने के लिये काउंटी क्रिकेट खेलने जाते थे, उसी तरह से अब सीमित ओवर्स के खेल को डवलेप करने के लिये खिलाड़ी आईपीएल जाते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस साल उसके आयोजन का समय सही नहीं था।
दो तरह की चोटों से जूझ रहे हैं भारतीय खिलाड़ी
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय खिलाड़ी दो तरह की चोटों से जूझ रहे हैं, जिसमें से पहला ग्रुप उन खिलाड़ियों का है जिनको मैदान पर बल्लेबाजी या गेंदबाजी करते हुए चोट लगी। इस लिस्ट में भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी (हाथ में फ्रैक्चर), रविंद्र जडेजा (अंगूठे में फ्रैक्चर), आर अश्विन(पसलियों में चोट), ऋषभ पंत (कोहनी में चोट) और केएल राहुल (कलाई में चोट) का नाम इसी में शामिल है। इन चोटों को लेकर आप पहले से तैयार नहीं रह सकते। वहीं दूसरा ग्रुप उन खिलाड़ियों का है जो कि फिटनेस की कमजोरी के चलते चोटिल हो जाते हैं। इस लिस्ट में उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह, नवदीप सैनी, हनुमा विहारी, इशांत शर्मा, मयंक अग्रवाल जैसे खिलाड़ियों का नाम शामिल है। हालांकि भारतीय टीम के लिये मुश्किलें बढ़ने के पीछे मुख्य वजह रही कि दोनों समस्याओं ने एक साथ टीम को घेरने का काम किया।
बिना यो-यो टेस्ट पास किये खिलाड़ियों को दौरे पर भेजा गया
गौरतलब है कि बीसीसीआई अपनी राष्ट्रीय टीम में खिलाड़ियों के फिटनेस को मापने के लिये यो-यो टेस्ट का आयोजन कराती है, जिसमें पास होने पर ही खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया जाता है। कई मौकों पर देखा गया है कि टीम में खिलाड़ियों का चयन सिर्फ इस वजह से नहीं हो पाता क्योंकि वह 'यो-यो टेस्ट' पास करने में असफल रहे थे। हालांकि रिपोर्ट की मानें तो ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खिलाड़ियों को बिना यो-यो टेस्ट पास किये ही भेज दिया गया है। कोरोना वायरस के चलते लंबे समय से घरों में कैद रहे खिलाड़ी अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दे पाने में नाकामयाब रहे थे, ऐसे में आईपीएल के बाद खिलाड़ियों को सीधा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भेज दिया गया।
खिलाड़ियों को शारीरिक ही नहीं, मानसिक थकान भी
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खिलाड़ियों के लगातार चोटिल होने के पीछे का एक बड़ा कारण है कि उसके खिलाड़ी लगातार पिछले 7 महीने से 'बायो बबल' में रह रहे हैं, जिसकी वजह से खिलाड़ियों को न सिर्फ शारीरिक थकान बल्कि मानसिक थकान का भी सामना करना पड़ रहा है। भले ही खिलाड़ियों को टी20 में सिर्फ 4 ओवर गेंदबाजी करनी पड़ती है लेकिन रन बचाने के लिये फील्डिंग में काफी मशक्कत और तेजी से थ्रो करने की जरूरत पड़ती है।
ऐसे में खिलाड़ियों को आईपीएल जैसे बड़ी क्रिकेट लीग का हिस्सा बनने के बाद मानसिक और शारीरिक थकान से उबरने के लिये कुछ समय चाहिये होता है लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दौरे से पहले भारतीय खिलाड़ियों को वो समय नहीं मिल सका।
तीनों प्रारूप में खेलने वाले खिलाड़ियों के लिये ब्रेक बेहद जरूरी
मौजूदा समय में खिलाड़ियों को एक साल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 12-14 टेस्ट मैच के अलावा करीब 20 वनडे-टी20 मैच खेलने होते हैं। इसके अलावा आईपीएल के लंबे क्रार्यक्रम में भी उसे हिस्सा लेना होता है, ऐसे में एक ऐसा खिलाड़ी जो कि तीनों ही प्रारूपों में भारत के लिये खेलता हो उसके लिये आराम बेहद जरूरी है, वरन उसे रिकवरी का समय ही नहीं मिल पाता है और चोटिल होने की संभावना बढ़ जाती है।
जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी उन्ही गेंदबाजों में से जो कि तीनों प्रारूपों में भारत के लिये खेलते हैं। ऐसे में आईपीएल के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम का दौरा काफी बिजी तरीके से तैयार किया गया। पहले टी-20 सिरीज़ फिर वनडे सीरीज और फिर टेस्ट सीरीज का आयोजन किया गया, इतना ही नहीं मैचों के बीच ज्यादा ब्रेक भी नहीं रखा गया जिसकी वजह से गेंदबाजों खास तौर से तेज बॉलर्स को रिकवरी करने का मौका मिल सके, जिसकी वजह से चोटिल होने का खतरा बढ़ गया।