फुटमार्क का फायदा उठाना जानते हैं जडेजा
रविंद्र जडेजा ने पिछले कुछ समय में अपनी गेंदबाजी में काफी बदलाव किया है और हर बार खुद को उन्होंने पहले से बेहतर साबित किया है। जडेजा ने दिखाया है कि पिच कैसी भी हो वो इसका फायदा उठाना जानते हैं। घरेलू पिचों पर जडेजा ने 33 टेस्ट मैच में महज 21.06 की औसत से जडेजा ने अब तक 157 विकेट हासिल किये हैं। चेन्नई टेस्ट के दूसरे दिन कई ऐसे मौके सामने आये जब भारतीय कप्तान विराट कोहली को अपने इस स्पिनर की याद आई, खास तौर पर तब बेन स्टोक्स और जो रूट बल्लेबाजी कर रहे थे और पिच के आस-पास काफी फुटमार्क नजर आ रहे थे।
रविंद्र जडेजा पिच पर उभरे इन फुटमार्क्स का फायदा उठाने में माहिर माने जाते हैं वो पारंपरिक स्पिन गेंदबाजों की तरह गेंदबाजी नहीं करते बल्कि क्रीज में थोड़ा वाइड जाकर छठे विकेट के आस-पास गेंदबाजी करते हैं। जडेजा एक ही टप्पे पर गेंदबाजी करने में माहिर हैं और जब वह लगातार छठे स्टंप के आस-पास गेंदबाजी करते हैं तो इन फुटमार्क्स पर पड़कर कोई गेंद घूम भी जाती है जो बल्लेबाज के मन में शंका भर देती है। ऐसे में जडेजा की ओर से पैदा किया गया यह डाउट अक्सर बल्लेबाज के लिये घातक साबित होता है। बेन स्टोक्स के खिलाफ यह देखना लाजवाब हो सकता था।
गेंदबाजी में चालाकी से विविधता का इस्तेमाल करना
रविंद्र जडेजा को अपनी गेंदबाजी में विविधता के लिये भी जाना जाता है। चेन्नई की पिच जो कि लगातार धीमी होने के लिये जाने जाती है, वहां पर माना जाता है कि स्पिन गेंदबाजों को सफल होने के लिये जल्दी गेंद छोड़नी होती है। हालांकि बिना किसी तरह का बदलाव किये और लाइन लेंथ का ध्यान रखते हुए अपनी गति में परिवर्तन करना आसान काम नहीं है लेकिन जडेजा के पास यह अदभुत कला है।
वह लंबे समय तक बिना किसी थकान के इस तरह से सटीक गेंदबाजी करने में माहिर हैं, इतना ही नहीं वह गति में आसानी से परिवर्तन करते नजर आते हैं। अपनी विविधताओं के चलते जडेजा ने आसानी से बल्लेबाजों को अपनी लाइन में फंसाने का काम किया होता और इंग्लिश खिलाड़ी उनकी गेंदबाजी पर LBW होते नजर आ सकते थे।
गेंद को फ्लैट कराने में माहिर हैं जडेजा
जडेजा के पास एक बेहद खतरनाक कला है जो कि हर स्पिनर के पास होना आसान नहीं है, उनके पास राउंड आर्म बॉलिंग एक्शन के साथ आंख की सीध में गेंद फेंकने की कला है, जो कि बल्लेबाजों को अपने जाल में फंसाने में काफी काम आती है। जडेजा बल्लेबाज को दिखाते हैं कि उनकी गेंद का टप्पा थोड़ा घूमकर आ रहा है जबकि अक्सर यह गेंद सीधी होती है। उन्होंने यह कला सीमित ओवर्स प्रारूप में हासिल की जिसका इस्तेमाल वो रेड बॉल क्रिकेट में करते नजर आते हैं। जडेजा अपनी फ्लैट ट्रैजेक्टरी का इस्तेमाल नैचुरल तरीके से करते हैं जो कि बल्लेबाज को फंसाने के काम आता है। बल्लेबाज के मन में दो सवाल रहते हैं, ऐसे गेंद खेलते हुए वह सोचता है कि क्या उसे इस गेंद को फ्रंट फुट पर खेलना चाहिये या बैक। जडेजा की इस गेंदबाजी की खासियत यह है कि वह इसे अपने बॉलिंग एक्शन में बिना कोई बदलाव किये डालते हैं जिससे बल्लेबाज के पास डिसिजन लेने का बेहद कम समय होता है और वो अक्सर गलती कर बैठता है।
रनों की रफ्तार रोकने में माहिर हैं जडेजा
इतना ही नहीं रविंद्र जडेजा अपनी गेंदबाजी के दौरान रनों की रफ्तार रोकने में भी माहिर हैं। खासतौर पर तब जब विकेट न गिर रही हों तो वो अपने ओवर में रन भी नहीं देते हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनकी गेंदबाजी के दौरान 3 रन प्रति ओवर शायद ही कभी देखने को मिला हो। इतना ही नहीं घरेलू टेस्ट सीरीज के दौरान उनकी इकॉनमी रेट 2.24 रन प्रति ओवर है। ऐसे में शनिवार को जब वाशिंगटन सुंदर और शाहबाज नदीम 4 रन प्रति ओवर से ज्यादा इकॉनमी से रन लुटा रहे थे तो वहां पर कोहली को जडेजा काफी याद आये होंगे। जिसका मतलब साफ है विकेट न मिल पाने की स्थिति में भारतीय टीम विरोधी टीम के रनों पर भी अंकुश लगा पाने में नाकाम हो रही थी।
फील्डिंग में भी जबरदस्त योगदान देते हैं जडेजा
गौरतलब है कि रविंद्र जडेजा को दुनिया के बेस्ट फील्डर्स में से एक माना जाता है, जिसका कारण है उनका फील्डिंग में अपना 200 प्रतिशत योगदान देना। मैदान पर जब विकेट नहीं गिर रहे होते हैं तो कई बार देखा गया है कि जडेजा अपनी अदम्य फील्डिंग से कोई विकेट निकाल देते हैं और वहां से मैच पलट जाता है, फिर चाहे वो कोई जबरदस्त कैच हो या फिर रन आउट। आपको बता दें कि चेन्नई में खेले जा रहे टेस्ट मैच में भारतीय टीम की खराब फील्डिंग जारी है। भारतीय खिलाड़ी इस पारी में अब तक 5 कैच छोड़ चुके हैं जिसमें बेन स्टोक्स के 3, रोरी बर्न्स का एक और डॉम बेस का एक बेहद आसान कैच ड्रॉप हुआ है। ऐसे में जडेजा का मैदान पर होना कई मौकों को विकेट में बदल सकता था।