नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच 4 अगस्त से खेली जाने वाली 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज नॉटिंघम के मैदान पर होने वाला है, जिसके आगाज के साथ ही विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के दूसरे चरण की भी शुरुआत हो जायेगी। इस बहुप्रतिक्षित सीरीज पर दुनिया भर के फैन्स की निगाहें हैं, क्योंकि इंग्लैंड की सरजमीं पर भारतीय टीम का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है और साल 2007 के बाद भारतीय टीम कोई भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत सकी है। इसके साथ ही इंग्लैंड की सरजमीं पर जो भी टीम शानदार प्रदर्शन करती है उसकी दुनिया भर में प्रशंसा होती है।
इस सीरीज को लेकर न सिर्फ भारतीय फैन्स और विशेषज्ञ उत्साहित होते हैं बल्कि दुनियाभर के दिग्गजों की नजरें भी इस पर जमी रहती हैं। इस सीरीज से पहले पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने भी अपनी राय रखी है और भारतीय टीम की जीत का ऐलान किया है। हालांकि शोएब अख्तर ने भारतीय टीम की जीत के लिये गेंदबाजों का वो सलाह दी है जिससे इंग्लैंड की सरजमीं पर भारतीय टीम इतिहास रच सकती है।
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उनका मानना है कि अगर भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में जीत हासिल करनी है तो उसके गेंदबाजों को आक्रामक होकर खेलने की जरूरत होगी, हालांकि घर पर खेलने की वजह से इंग्लैंड की टीम के पास थोड़ी बढ़त जरूर होगी।
शोएब अख्तर ने अपने यूट्यूब चैनल के वीडियो पर बात करते हुए कहा, 'घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए इंग्लिश गेंदबाजों के पास अच्छी खासी बढ़त है, जिसमें खास तौर से जेम्स एंडरसन और जोफ्रा आर्चर का नाम शामिल है। हम सब विराट कोहली और जेम्स एंडरसन के बीच का इतिहास जानते हैं, इसका मतलब है कि इंग्लैंड के पास घर में खेलने की बढ़त मौजूद होगी।'
अख्तर ने आगे कहा कि तेज गेंदबाजों की अग्रेशन की लेंथ अलग होती है, लोगोंं को लगता है कि मैं बाउंसर फेंकता था इस वजह से अग्रेसिव था लेकिन ऐसा नहीं है मैं गेंद को सही ठिकाने पर डालता था इस वजह से अग्रेसिव था। जब आप गेंद को सही ठिकाने और पेस पर डालते हैं तो गति में विवधता भी होती है, ऐसे में भारतीय टीम के गेंदबाजों को इंग्लैंंड के खिलाफ बहुत आक्रामकता और बहुत पेस के साथ डेक को हिट करने की जरूरत है और उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि यह बदलाव पूरे समय करने की जरूरी है।
उन्होंने कहा,'अगर आपको एक बार अपनी लेंथ पर अग्रेशन मिल जाये तो उसे छोड़ने की गलती नहीं करनी है। आपको तय करना होगा कि आपका मुकाबला बल्लेबाजों के साथ नहीं बल्कि उनके दिमाग के साथ है। आपकी मानसिकता ऐसी होनी चाहिये कि आपकी स्किल ही आपको किसी भी खराब परिस्थिति से बाहर निकाल सकती है।'