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IND vs ENG: एलिस्टर कुक ने खोली इंग्लिश टीम की पोल, बताया- भारत के सामने कहां हो सकते हैं फ्लॉप

नई दिल्ली। साउथैम्पटन में खेले गये पहले आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में 8 विकेट से हार का सामना करने के बाद भारतीय टीम को अब इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलनी है। भारतीय टीम फिलहाल ब्रेक पर है लेकिन 4 अगस्त से खेली जाने वाली इस टेस्ट सीरीज को लेकर 14 जुलाई को हरहम में पूरी टीम एक बार फिर से इकट्ठा होकर तैयारियों में जुटेगी। न्यूजीलैंड के खिलाफ ऐतिहासिक फाइनल मैच में भारतीय टीम को अपनी खराब बल्लेबाजी का नुकसान उठाना पड़ा था जिसके चलते खिताब के इतने करीब पहुंचकर एक बार फिर से विराट सेना को खाली हाथ लौटना पड़ा।

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इस हार के बाद जहां कई दिग्गज खिलाड़ियों का मानना है कि इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम को एक बार फिर से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ेगा तो वहीं पर इंग्लिश टीम के पूर्व कप्तान एलिस्टर कुक की राय कुछ और है। एलिस्टर कुक का मानना है कि भारत के शानदार बॉलिंग अटैक के सामने इंग्लिश टीम की कमजोरी निकल कर सामने आ सकती है और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

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इंग्लैंड की बैटिंग बनी चिंता का कारण

इंग्लैंड की बैटिंग बनी चिंता का कारण

एलिस्टर कुक ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की पोल खोलते हुए साफ किया कि पिछले 7-8 महीनों में टीम की बल्लेबाजी टीम की सबसे बड़ी कमजोरी बनकर उभरी है, जिसका नुकसान उसे भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी उठाना पड़ सकता है। कुक ने इसके पीछे टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी को दोषी ठहराया।

पूर्व इंग्लिश कप्तान ने 'वॉन एंड टफर्स शो' में बात करते हुए कहा, 'अगर आप पिछले 7-8 महीनों के दौरान खेले गये टेस्ट मैचों पर नजर डालेंगे तो इंग्लिश टीम पर जब भी दबाव आता है तो बल्लेबाजी विभाग ताश के पत्तों की तरह ढह जाता है। इंग्लिश बल्लेबाज दबाव का सामना करने में नाकाम रहे हैं, ऐसे में भारत के खिलाफ उनका खेल देखना दिलचस्प होगा। यह बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।'

अनुभव की कमी बन रही टीम की परेशानी

अनुभव की कमी बन रही टीम की परेशानी

एलिस्टर कुक का मानना है कि इंग्लैंड की टीम के लिये उसके खिलाड़ियों में अनुभव की कमी सबसे बड़ी परेशानी साबित हो रही है, जिसका असर न्यूजीलैंड के खिलाफ 2 मैचों की टेस्ट सीरीज में भी दिखाई दिया।

उन्होंने कहा,'हम देखते हैं तो खिलाड़ियों में अनुभव की कमी साफ नजर आती है। सिब्ले ने 20, बर्न्स ने 25, क्रॉउली ने 14 और ऑली पोप ने 19 टेस्ट मैच खेले हैं। अगर आप जो रूट को हटा देते हैं तो आपके टॉप 5 में से 4 बल्लेबाजों ने 25 से कम टेस्ट मैच खेले हैं, ऐसे में अगर आप किसी मजबूत टीम के खिलाफ उतरते हैं तो हमेशा चाहते हैं कि टीम में सिर्फ एक ही खिलाड़ी हो जिसके पास 20 से कम मैचों का अनुभव हो और बाकी सब के पास कम से कम 50-60 टेस्ट मैच का अनुभव हो।'

अनुभव के चलते ही ऑस्ट्रेलिया में जीती थी एशेज

अनुभव के चलते ही ऑस्ट्रेलिया में जीती थी एशेज

एलिस्टर कुक ने अपनी बात के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साल 2010-11 में उसी की सरजमीं पर खेली गई एशेज सीरीज का उदाहरण दिया। इस सीरीज में जो इंग्लिश टीम गई थी उसमें कुक समेत 7 बल्लेबाजों के पास 50 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का अनुभव था।

उन्होंने कहा, ' 2010-11 में इंग्लैंड की जो टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी, उसमें मेरे अलावा स्ट्रॉस, ट्रॉट , केपी, बेल और कॉलिंगवुड समेत 6 ऐसे खिलाड़ी थे जिनके पास 50 से 60 टेस्ट मैचों का अनुभव था। यह सभी टॉप 6 में बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन हम अब सिब्ले, बर्न्स और क्रॉउली के साथ जा रहे हैं, जिनके पास 25 टेस्ट मैचों का भी अनुभव नहीं है।'

Story first published: Thursday, July 1, 2021, 22:07 [IST]
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