चयनकर्ताओं पर नाराज हो गये थे श्रेयस अय्यर
बात 23 मई 2016 की है जब चयनकर्ताओं ने जिम्बाब्वे और वेस्टइंडीज के दौरे के लिये भारतीय टीम का चयन किया था। इस दौरे के टीम सेलेक्शन से पहले श्रेयस अय्यर ने 2016-17 के रणजी सीजन में 11 पारियों के दौरान 1381 रन बनाये थे जो कि रणजी ट्रॉफी के एक सीजन में किसी बल्लेबाज की ओर से बनाया गया तीसरा सबसे ज्यादा स्कोर है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उस वक्त टीम के मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल ने श्रेयस अय्यर के इतने रन बनाने के बावजूद दौरे के लिये नहीं चुना जिसके चलते श्रेयस अय्यर काफी नाराज हो गये थे। उन्होंने अखबार से बात करने से इंकार करते हुए कहा था कि मैं अभी बात नहीं कर सकता हूं।
रणजी में रन बनाना आसान लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुल जाती है पोल
आज इतने साल बाद तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल ने इस बात का खुलासा किया कि आखिरकार क्यों श्रेयस अय्यर को उस वक्त टीम में नहीं चुना गया था।
पाटिल ने बताया, 'रणजी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत फर्क होता है। कई बार आप रणजी में रन बनाते हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आपकी पोल खुल जाती है। अगर आप पंजाब के सलामी बल्लेबाज जीवनज्योत सिंह का उदाहरण लें तो देखेंगे कि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में काफी रन बनाए लेकिन जब उन्हें अगले साल भारत ए की टीम के लिए चुना गया तो वह कुछ नहीं कर पाए।'
संदीप पाटिल ने बताया आखिर क्यों टीम में नहीं चुने गये थे श्रेयस अय्यर
संदीप पाटिल ने कहा कि यह पहली बार नहीं था पहले भी देखा गया है कि रणजी ट्रॉफी में रन बनाने वाले खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रन बना पाने में नाकाम हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, 'ऐसा कई बार देखा गया जब अभिनव मुकुंद, सचिन बेबी और मनदीप सिंह जैसे खिलाड़ियों ने रणजी में रन बनाये लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फेल हो गये। कई बार देखा गया है कि कई खिलाड़ी पहले सीजन में अच्छा खेलते हैं और अगले सीजन में फ्लॉप हो जाते हैं। बतौर चयनकर्ता जब आप ऐसे खिलाड़ियों का चयन करते हैं तो आपकी पोल खुल जाती है। इसी डर के चलते चयनकर्ताओं ने सोचा कि हम दूसरे सीजन में भी अय्यर के प्रदर्शन का इंतजार करते हैं। हम चाहते थे कि वह अपने प्रदर्शन में निरंतरता लेकर आएं। हम राहुल द्रविड़ की निगरानी में उन्हें इंडिया ए भेजना चाहते थे।'
श्रेयस अय्यर में मिलती थी युवा रोहित शर्मा की झलक
संदीप पाटिल ने कहा कि श्रेयस अय्यर को टीम में न सेलेक्ट करने का एक और कारण था कि वह युवा रोहित शर्मा की तरह अपना विकेट तब फेंक देते थे जब वह पूरी तरह से सेट हो गये हों।
पाटिल ने कहा, 'अय्यर को लेकर एक और चिंता की बात थी। वह उस समय खराब शॉट खेल देते थे जब गेंदबाज पूरी तरह असहाय नजर आता था। वह उसी तरह 60 और 70 रनों की पारियां खेल रहे थे जैसे युवा रोहित शर्मा खेलते थे। हम उन्हें और समझदार और जिम्मेदार देखना चाहते थे।'
आईपीएल ने बनाया श्रेयस अय्यर को जिम्मेदार
संदीप पाटिल का मानना है कि श्रेयस अय्यर को परिपक्व बनाने में आईपीएल का बड़ा हाथ रहा। जिस तरह से मुंबई इंडियंस की कप्तानी संभालने के बाद रोहित शर्मा के खेल में बदलाव हुआ और वह पहले से अधिक परिपक्व हो गये ठीक उसी तरह दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी संभालने के बाद श्रेयस अय्यर भी जिम्मेदार हो गये।
पाटिल ने कहा, ' आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी संभालने के बाद श्रेयस अय्यर के खेल में सकारात्मक सुधार आया। कप्तान बनने के बाद वह जिम्मेदार हुए वैसे ही जैसा मुंबई इंडियंस का कप्तान बनने के बाद रोहित शर्मा के साथ हुआ।'
4 नंबर के लिये बिल्कुल फिट हैं श्रेयस अय्यर
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो वनडे इंटरनैशनल में अय्यर जिस तरह मिशेल स्टार्क और एडम जंपा की गेंद पर आउट हुए उसके बाद फिर सवाल उठने लगा कि क्या वह हाई-क्लास गेंदबाजी का सामना कर सकते हैं। लेकिन तीसरे और आखिरी मैच में उन्होंने 35 गेंदों पर 44 रन बनाकर इस संशय को दूर किया। बेंगलुरु में खेली गई उनकी इस पारी ने भारत को सीरीज जीतने में मदद की।
अय्यर ने जिस जिम्मेदारी से पारी खेली और टीम को संकट से निकालते हुए भारत को जीत दिलाई वो इस बात का सबूत है कि वो प्रतिभा के धनी होने के साथ-साथ जिम्मेदारी भी ले सकते हैं। जिम्मेदारी लेने वाली बात शायद एक खिलाड़ी के रूप में परिपक्व होने का सबूत है। और फिर हर टीम और हर कप्तान को अपने साथ ऐसे ही खिलाड़ियों की जरूरत होती है जो आगे आकर जिम्मेदारी लें क्योंकि आखिरकार क्रिकेट एक टीम गेम है और कोई भी टीम किसी एक खिलाड़ी पर आश्रित नहीं रह सकती।