ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं मेंटॉर
स्पोर्टस तक की ओर से यूएई में आयोजित किये गये सलाम क्रिकेट कार्यक्रम में बात करते हुए गावस्कर ने कहा,'मेंटॉर ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है, हां इस तेज तर्रार गति से चलने वाले गेम में वो जरूरत पड़ने पर वो चेंज रूम में आपको तैयार होने में मदद जरूर कर सकता है। वह आपकी रणनीति को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, बल्लेबाजों और गेंदबाजों के साथ टाइम आउट के दौरान बात कर सकता है, तो धोनी को थिंकिंग टैंक के साथ जोड़ने का कदम बहुत अच्छा है जो कि ड्रेसिंग रूम में बदलाव लेकर आयेगा लेकिन मैदान पर जाकर प्रदर्शन करने का काम खिलाड़ियों को ही करना होगा, वह मैदान पर दबाव को किस तरह से हैंडल करते हैं वो मैच का नतीजा तय करेगा। धोनी आपके लिये बल्लेबाजी नहीं करेंगे।'
कप्तानी छोड़ने से कोहली पर कम हुआ दबाव
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान का मानना है कि टी20 विश्वकप के दौरान भारतीय कप्तान कम दबाव महसूस करेंगे, खासतौर से जब से उन्होंने टी20 प्रारूप की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया है तबसे उन पर दबाव काफी कम हो गया होगा।
उन्होंने कहा,'जब आप कप्तान बनते हैं तो आप सिर्फ अपने बारे में नहीं सोच सकते हैं। उसे हर उस बल्लेबाज के साथ भी बात करनी होती है जो कि खराब दौर से गुजर रहा हो या फिर गेंदबाज के साथ रणनीति पर चर्चा करनी पड़ती है। इन सब के बीच वह खुद की फॉर्म को नजरअंदाज करता है। लेकिन जब आप पर वो दबाव नहीं होता है तो आप अपने गेम पर ध्यान लगा सकते हैं। मुझे लगता है कि विश्वकप के बाद यह विराट कोहली के लिये काफी अच्छा साबित होगा, उन्हें जिम्मेदारियों के बारे में ज्यादा सोचना नहीं होगा और खुद के खेल पर ध्यान लगाकर ज्यादा से ज्यादा रन बना सकते हैं।'
गावस्कर ने बताया कैसे जीते नॉकआउट गेम्स
सुनील गावस्कर ने आगे बात करते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के लगातार नॉकआउट गेम में फेल होने के पीछे की बड़ी वजह टीम सेलेक्शन रहे हैं। ऐसे में जब एमएस धोनी टीम के साथ प्लानिंग करने के लिये मौजूद रहेंगे तो मैनेजमेंट बेहतर फैसला कर पहुंच सकती है।
उन्होंने कहा,'बड़े मैचों में भारत की सबसे बड़ी समस्या उसका टीम संयोजन रहा है। अगर वो अपने नॉकआउट गेम्स में सही प्लेइंग 11 का चयन कर पाते तो उन्हें कम दिक्कतों का सामना करना पड़ता। कई बार आपके सोचने की प्रक्रिया अलग होती है। नॉक आउट और फाइनल मैच में आपको पहले बल्लेबाजी करनी चाहिये और बोर्ड पर रन देने चाहिये, मान लीजिये आप 140 ही बनाते हैं तो दूसरी टीम को भी यह रन बनाने होंगे, जो कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 7 रन प्रति ओवर से हमेशा रन बनाना आसान नहीं होता। तो जब हम पहले बल्लेबाजी नहीं करते हैं और रनों का पीछा करते हुए एक या दो विकेट खो देते हैं तो भारतीय बल्लेबाज दिक्कत में फंस जाते हैं।'