तीसरा अंपायर करेगा फ्रंट फुट नो बॉल पर फैसला
आईसीसी ने कहा,‘पूरी सीरीज के दौरान फेंकी गयी हर गेंद की निगरानी की जिम्मेदारी तीसरे अंपायर की होगी। मैच के दौरान तीसरे अंपायर को ही पता करना होगा कि क्या गेंदबाज का पांव लाइन से बाहर था या अंदर। अगर गेंदबाज का पांव लाइन से बाहर जाता है तो तीसरा अंपायर इस बात की जानकारी मैदानी अंपायर को देगा और मैदानी अंपायर नोबॉल का इशारा करेगा।'
उन्होंने कहा कि पूरी सीरीज के दौरान मैदान अंपायर बिना तीसरे अंपायर की सलाह के ‘फ्रंट फुट नोबॉल' पर कोई फैसला नहीं देगा।'
अगर हुआ करीबी मामला तो जानें किसके पक्ष में होगा फैसला
गौरतलब है कि आईसीसी ने फ्रंट फुट नोबॉल को पता करने की जिम्मेदारी तीसरे अंपायर को देने का फैसला इस साल अगस्त में लिया था। इस प्रणाली का ट्रायल सबसे पहले 2016 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच वनडे सीरीज में किया गया था, जिसके बाद आईसीसी की क्रिकेट समिति ने और ज्यादा मैचों में इसके ट्रॉयल की सिफारिश की। आईसीसी ने समिति की सलाह को ध्यान में रखते हुए भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में इसके परीक्षण का फैसला किया।
ट्रॉयल के बारे में बात करते हुए आईसीसी ने कहा कि अगर कोई फैसला बेहद करीबी नजर आता है तो फैसला गेंदबाज के पक्ष में जायेगा। अगर नो बॉल पर फैसला बाद में बताया जाता है तो थर्ड अंपायर का फैसला मैदानी अंपायर के फैसले को रोक देगा और नो बॉल दिया जाएगा। हालांकि मैच के दौरान के अन्य फैसलों के लिये पहले की तरह मैदानी अंपायर जिम्मेदार होगा।'
आईपीएल में भी किया जाएगा ट्रॉयल
वहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि हम इस तकनीक को आईपीएल में इस्तेमाल करने के लिये सोच रहे हैं। आईपीएल हमेशा से प्रयोगों के लिए रहा है और हमारी कोशिश है कि इसके हर सीजन में कुछ नई तकनीक आए और इससे खेल को आगे ले जाने में मदद मिले।
उन्होंने कहा था, 'अतीत में हमने देखा है कि पैर की नो बॉल एक मुद्दा रहा है और मेरा मानना है कि जिस तकनीक से इसकी जांच की जा सकती है उसका उपयोग करना चाहिए। इसे लेकर बड़े स्तर पर जांच की जानी है और हम वेस्टइंडीज सीरीज में भी इसे लागू करेंगे।'