नई दिल्लीः भारत के दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर इस बात को लेकर काफी भावुक थे कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय एथलीटों ने बेस्ट प्रदर्शन करने के लिए जी-जान लगा दी। जैसे-जैसे भारतीय एथलीट देश का नाम रोशन कर रहे थे वैसे वैसे गावस्कर की भावनाएं भी एक नई खुशी को छू जाती थी। अब भारत के एथलीट देश वापस आ चुके हैं और इनका जोरदार स्वागत हुआ है, इस लम्हे को देखकर सुनील गावस्कर काफी भावुक हो गए हैं।
यह वही सुनील गावस्कर हैं जो नीरज चोपड़ा की जीत पर खुशी से डांस करने लगे थे। गावस्कर ने अपनी भावनाएं शेयर करते हुए 'आज तक' से बताया है कि, जब नीरज चोपड़ा ने पहला थ्रो किया था तो वे खुद को रोक नहीं पाए थे और नाचने लगे थे। वे कहते हैं कि जब कोई देश के लिए अच्छा करता है मेडल जीता है तो बहुत खुशी होती है।
गावस्कर कहते हैं, "मैं कभी उस पल को नहीं भूल सकता जब नीरज ने गोल्ड मेडल जिताने वाला वाला फेंका था।"
उनको नीरज की थ्रो देख कर बहुत ही अच्छा लगा। गावस्कर कहते हैं लेकिन वह पल और भी अच्छा था जिस तरीके से नीरज का स्वागत इस देश में हुआ क्योंकि एक मेडल जीतने वाले खिलाड़ी के साथ ऐसा ही होना चाहिए। यह खिलाड़ी आपके रोल मॉडल है। गावस्कर को लगता है कि पीवी सिंधु , मैरीकॉम, नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू यह सभी रोल मॉडल बनेंगे क्योंकि इनकी मेहनत देखकर कई लोग प्रेरित हुए हैं और वह कह रहे हैं कि हम भी इतनी ही मेहनत करेंगे।
इस दौरान भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज ने यह भी कहा कि इंग्लैंड में मौजूदा भारतीय टीम भी काफी खुश है क्योंकि वे सब भी स्पोर्ट्स पर्सन है जो दूसरे स्पोर्ट्स पर्सन की उपलब्धि पर खुश होते हैं।
सुनील गावस्कर ने भारतीय महिला हॉकी टीम के खेल की भी बहुत तारीफ की जो कुछ मामूली अंतर से ओलंपिक मेडल जीतने से चूक गई। उनको कांस्य पदक के मैच में ग्रेट ब्रिटेन की टीम ने 4-3 से हरा दिया था गावस्कर का मानना है कि अगर थोड़े से मिनट और बाकी होते तो भारतीय महिला टीम भी मेडल जीत सकती थी। वे कहते हैं कि उन्होंने मेडल भले ही नहीं जीता लेकिन दिल जरूर जीत लिया।
इस दौरान का गावस्कर 2004 में अटल बिहारी वाजपेई जी का एक किस्सा भी याद करते हैं जब भारत की टीम कई साल बाद पाकिस्तान जा रही थी और तब तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेई जी ने कहा था कि ना आप केवल खेल कर आएं, बल्कि दिल भी जीत कर आएं। गावस्कर मानते हैं कि तब सौरव गांगुली की टीम ने ना केवल मैच जीते बल्कि दिल भी जीता और टोक्यो ओलंपिक में भी ऐसा ही हुआ है जहां भारतीय दल ने यह काम किया है।