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विश्व कप जिताने वाला खिलाड़ी पैसों का हुआ मोहताज, कहा- 'पद्मश्री नहीं नौकरी दे दो'

नई दिल्ली। दुनिया भर में फैली महामारी कोरोना वायरस के चलते अब तक लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं और लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। वहीं इस महामारी के चलते दुनिया भर के कई देशों को लॉकडाउन में जना पड़ा है। इस फेहरिस्त में भारत का भी नाम है और यहां पर भी लगभग 2 महीने से ज्यादा समय से लॉकडाउन जारी है, जिसके चलते मध्यम वर्गीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां दैनिक मजदूरी करने वाले लाखों लोगों के लिये अपना रोज का खाना चला पाना भी मुश्किल है, वहीं लाखों मध्यवर्गीय लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

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वहीं बहुत सारे लोगों की सैलरी वक्त पर नहीं आ रही है, ऐसे में परिवार का खर्च उठा पाना भी मुश्किल हो रहा है। इस मुश्किल दौर में सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि कई बड़े खिलाड़ी भी परेशानी का सामना कर रहे हैं। इस फेहरिस्त में भारत को 2 बार ब्लाइंड विश्व कप जिताने वाले जिताने वाले कप्तान शेखर नाइक का नाम भी जुड़ गया है।

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पैसे का मोहताज हो रहा है यह भारतीय खिलाड़ी

पैसे का मोहताज हो रहा है यह भारतीय खिलाड़ी

भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शेखर नाइक भी इस समय पैसों की तंगी का सामना कर रहे हैं। भारतीय क्रिकेट टीम को 2 बार ब्लाइंड विश्व कप जिताने वाले शेखर नाइक के लिये इन दिनों अपने परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है।

मिड डे से बात करते हुए शेखर ने बताया,'मेरी सैलरी 25 हजार रुपये है, जिसमें से मेरे घर का किराया 12 हजार रुपये निकल जाता है। जैसे-तैसे मैं पूर्व में अपने परिवार को मैनेज कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण मेरी सैलरी होल्ड पर है और ऐसे में मैं दो महीने से अपने घर का रेंट भी नहीं दे पा रहा हूं। मेरा परिवार इस समय कठिन समय से गुजर रहा है। मेरी सारी सेविंग्स भी खत्म हो गई हैं।'

पद्मश्री नहीं नौकरी दे दो

पद्मश्री नहीं नौकरी दे दो

बेंगलुरु के रहने वाले शेखर नाइक देश के पहले दिव्यांग क्रिकेटर हैं जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पुरस्कार से ज्यादा एक अच्छी नौकरी की जरूरत है, ऐसे में उन्हें एक नौकरी दी जाये न कि पुरस्कार।

उन्होंने कहा, 'पिछले आठ वर्षों में, मैंने कर्नाटक के विभिन्न मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की, उनसे सरकारी नौकरी के लिए अनुरोध किया। पिछले दिसंबर में, मैं दिल्ली में खेल मंत्री रिजिजू से मिला और उनसे कहा कि पद्म श्री से ज्यादा मुझे एक अच्छी नौकरी की सख्त जरूरत है क्योंकि मेरी पत्नी भी नेत्रहीन हैं।'

जन्म से ब्लाइंड थे शेखर, लेकिन एक्सिडेंट ने वापस दी रोशनी

जन्म से ब्लाइंड थे शेखर, लेकिन एक्सिडेंट ने वापस दी रोशनी

गौरतलब है कि शेखर नाइक जन्म से देखने में असमर्थ थे लेकिन 8 साल की उम्र में उनका एक्सीडेंट हुआ जिसके बाद सर्जरी के चलते उनकी दायीं आंख से वह 60 प्रतिशत देख सकते थे, हालांकि बायीं आंख का इलाज नहीं हो सका। शेखर ने अपनी कप्तानी में भारत को साल 2012 का टी20 विश्व कर और 2015 का वनडे विश्व कप जिताया, जिसके बाद उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया।

शेखर को 2012 में बेस्ट बॉलर के अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। वह B2 कैटेगरी के ब्लाइंड क्रिकेटर हैं जो कि मध्यम गति से गेंदबाजी करते हैं।

Story first published: Friday, May 29, 2020, 12:01 [IST]
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