नई दिल्ली। एक समय था जब एशियाई टीमों के बारे में बात करते ही उनकी शारीरिक फिटनेस को जेनेटिक समस्या से जोड़ दिया जाता था। लेकिन जैसे-जैसे प्रशिक्षण तकनीकों के अलावा खान-पान संबंधी नवीन खोजों का दौर शुरू हुआ तो एशियाई खिलाड़ियों ने भी विश्व स्तरीय फिटनेस के मानक हासिल किए। क्रिकेट में आज टीम इंडिया दुनिया की बेहतरीन टीमों में शुमार है और उसका एक प्रमुख कारण टीम के फील्डिंग स्तर में आया जबरदस्त सुधार भी है।
टीम इंडिया के फील्डिंग कोच आर श्रीधर का मानना है कि 2017 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के बाद टीम की फील्डिंग में सुधार की प्रक्रिया चालू कर दी गई थी। ESPNCricinfo को दिए इंटरव्यू में उन्होंने ये बात बताई। उन्होंने बताया की यो-यो टेस्ट आपके एनर्जी सिस्टम का अर्थपूर्ण तरीके से टेस्ट लेता है। क्रिकेट एक काफी कड़ा खेल है इसको आपको दिन में 6 से भी ज्यादा घंटे तक खेलना होता है। ऐसे में ये टेस्ट आपकी सहनशीलता और लचकता दोनों का टेस्ट लेता है।
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इस दौरान जब श्रीधर से पूछा गया कि टीम इंडिया में इस समय कौन सा फील्डर सबसे कमजोर है तो उन्होंने युजवेंद्र चहल का नाम लिया। हालांकि उन्होंने कहा कि चहल पर काम लगातार चालू हैं। चहल टीम इंडिया में कलाई के स्पिनर की भूमिका निभाते हैं। उनके बारे में बात करते हुए श्रीधर ने बताया, 'चहल का कार्य प्रगति पर है। वह अपनी फील्डिंग पर काफी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन यहां मामला ये है कि उनके हाथ बहुत ही ज्यादा छोटे है।
'उनकी अंगुलियां भी काफी पतली हैं। ऐसे में जब तेज गति से गेंद उनकी तरफ आती है तो उनके पास उसकी तीव्रता को संभालने के लिए कुछ खास नहीं है..वह मैदान के अच्छे फिल्डर हैं और उनकी भुजाएं भी शानदार हैं। वह सीमा-रेखा के पास स्लाड्स और डाइव्स भी बखूबी मारते हैं, वह गेंद के अच्छे चेसर भी हैं।' वहीं, जब श्रीधर ने टीम इंडिया में मौजूद सबसे अच्छे फील्डर के बार में पूछा गया तो उन्होंने भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली का नाम लिया।