वो अंतिम गेंद नहीं भूल पा रहे हैं ठाकुर-
उस एक गेंद ने पूरे टूर्नामेंट का नतीजा घोषित कर दिया। टूर्नामेंट अब समाप्त हो चुका है लेकिन यह गेंद अभी भी ठाकुर के जेहन में जिंदा है। उस गेंद को याद करते हुए ठाकुर पछताते हुए कहते हैं, 'पांव निकालके मारना चाहिए था।' आपको बता दें कि चेन्नई की टीम ने ठाकुर को प्रमोट करके हरभजन सिंह और दीपक चाहर से ऊपर बल्लेबाजी करने भेजा था। इस पर ठाकुर ने कहा कि मुझे टीम की ओर से पहले ही कह दिया गया था कि बैटिंग के लिए तैयार रहना।
ठाकुर के दिमाग में थी केवल जीत-
जब वॉटसन आउट हुए तब ठाकुर को बल्लेबाजी के लिए भेजा गया। उन्होंने मलिंगा की पहली गेंद पर दो रन लिए। इस तरह से अब अंतिम गेंद पर दो रनों के साथ मैच का भाग्य तय होना था। अगर एक रन बनता तो भी मैच सुपरओवर में चला जाता। ठाकुर ने उस पल को याद करते हुए बताया, 'जब मैं क्रीज पर जा रहा था तब मेरे दिमाग में केवल जीत ही चल रही थी। यह बड़ा मैदान था इसलिए अगर गेंद बाउंड्री के आसपास जाती है तो भी दो रन मिल जाते हैं। मलिंगा राउंड द विकेट गेंदबाजी कर रहे थे और अगर वे यॉर्कर गेंद मिस कर देते तो मैं उसको स्क्वायर लेग पर मार देता। मैंने पहली गेंद पर दो रन बनाए थे।' ठाकुर ने यह बात द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताई।
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ये था शार्दुल ठाकुर का प्लान-
इसी दौरान दूसरे छोर पर खड़े रविंद्र जडेजा ने ठाकुर को हवा में शॉट ना खेलने की सलाह भी दी। ठाकुर ने बताया, 'हमारा प्लान गेंद को मैदान में खेलकर तुरंत रन लेने का था।' उन्होंने अंतिम गेंद को याद करते हुए कहा, 'मुझे अपना पैर आगे निकालकर एक बड़े शॉट के लिए प्रयास करना चाहिए था। मैं छक्के मारने की काबिलियत रखता हूं। तनाव के पलों में किसी एक को हारना होता है और दुर्भाग्य से यह हार हमारे हिस्से आई। कोई नहीं जानता कि एक दिन ऐसा भी आ जाए जब मेरे बल्ले से जीत का रन निकले।' ठाकुर ने यह भी कहा कि जब अंतिम गेंद उनके पैड से टकराई तो वे केवल रन के लिए भाग रहे थे। उन्होंने अंपायर की ओर भी नहीं देखा। ठाकुर का मानना है कि क्रिकेट यहीं पर ही खत्म नहीं होता है।