नई दिल्ली। चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच 11 अप्रैल को खेले गए मैच में मेहमान टीम के कप्तान धोनी ने हैरतअंगेज व्यवहार दिखाया था और मैदानी अंपायरों से एक नो-बॉल के केस में गर्मागर्म बहस भी की थी। धोनी को इसकी एवज में आईपीएल के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया और उन पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगा।
धोनी के इस बर्ताव पर कुछ लोग उनके समर्थन में भी आए हैं तो कुछ ने उनका खुला विरोध किया है। कुछ क्रिकेट दिग्गजों ने तो धोनी को मिली 'छोटी सी सजा' पर भी नाखुशी जाहिर की है। इस फेहरिस्त में बिशन सिंह बेदी भी कह चुके हैं कि यह सजा बचकानी है, इससे ज्यादा होनी चाहिए थी। अब हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखने वाले सहवाग ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी है।
सहवाग ने कहा, 'धोनी ने भारत की ओर से खेलते हुए कभी ऐसा नहीं किया, अगर वे भारतीय टीम के लिए ऐसा करते तो मुझे खुशी होती। मुझे लगता है वे चेन्नई की टीम को लेकर कुछ भावुक हो गए। मुझे लगता है कि उनको मैदान में नहीं जाना था क्योंकि पहले ही चेन्नई के दो खिलाड़ी वहां मौजूद थे। धोनी को सस्ते में छोड़ दिया गया है, जबकि उनको कम से कम 2-3 मैचों के लिए बैन करना था। अब बाकी कप्तान भी ऐसा करने लगेंगे तो अंपायरों की इज्जत ही क्या रह जाएगी?'
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सहवाग ने कहा, धोनी को मैदान के बाहर ही रहकर वॉकी-टॉकी के जरिए चौथे अंपायर से बात करनी चाहिए थी। ना कि ऐसे आकर गुस्सा दिखाना चाहिए था। आपको बता दें कि भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने एक अप्रत्याशित कदम के तहत 11 अप्रैल को मैदान में एक ऐसे काम को अंजाम दिया जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी।
अपने पूरे क्रिकेट करियर में बेहद शांत रहकर कैप्टन कूल की पदवी पाने वाले इस खिलाड़ी ने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान की हैसियत से अपना आपा तब खो दिया था जब राजस्थान रॉयल्स के गेंदबाज बेन स्टोक्स की फुलटॉस को स्ट्रेट अंपायर ने नो-बॉल करार देकर बाद में अपना फैसला पलट दिया। उसके बाद धोनी डगआउट से मैदान पर वापस जाते हुए दिखाई दिए और भड़के हुए माही ने अंपायरों की खूब क्लास लगाई। धोनी के व्यवहार क्रिकेट विश्लेष्कों और पूर्व क्रिकेटरों ने हैरानी जताई है