इस कारण हुई बहस
दरअसल, राजस्थान की पारी में टॉम करेन ने 18वें ओवर की 5 वीं गेंद पर शाॅट लगाया और गेंद विकेटकीपर धोनी के पास पहुंची। उस समय, धोनी और चेन्नई के खिलाड़ियों ने विकेट के लिए अपील की। धोनी की अपील पर अंपायर शमसुद्दीन ने टॉम करन को आउट कर दिया। लेकिन करण को शक था कि धोनी ठीक से नहीं पकड़ पाए, लेकिन राजस्थान रॉयल्स के पास डीआरएस बैलेंस नहीं था।
अंपायर के पास पहुंचे धोनी
ऐसे में करेन अंपायरों के पास गए और बात की। इसके बाद शमसुद्दीन ने लेग-अंपायर विनीत कुलकर्णी से बात की, जो यह भी नहीं समझ पाए कि धोनी ने ठीक से कैच पकड़ा था या नहीं। मामला तब तीसरे अंपायर के लिए भेजा गया था। टीवी पर यह देखते समय, यह साबित हो गया कि धोनी ने गेंद को जमीन से पकड़ा। ऐसे में करेन को नाबाद करार दिया गया। लेकिन निर्णय अचानक बदल दिया गया और धोनी अंपायर के पास पहुंचे और उनके साथ बहस करते देखे गए।
इसलिए उठाई आवाज
उन्होंने अंपायरों से बात कर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई, जो कि सही भी था, क्योंकि, राजस्थान रॉयल्स के पास अगर DRS होता और उनके रिव्यू लेने के बाद ये फैसला बदलता तो बात समझ में आती लेकिन यहां तो रॉयल्स के पास DRS ही नहीं था। दूसरे फील्ड अंपायर अपना फैसला दे चुके थे। अब चाहे वो गलत हो या सही, थर्ड अंपायर की मदद से रिप्ले के आधार पर नहीं बदलना चाहिए था। अगर अंपायरों को रिप्ले देखना ही था तो वो अपने फैसले से पहले देख सकते हैं। बता दें कि पिछले साल भी राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के दौरान धोनी को अंपायरों के साथ बहस करते देखा गया था।