रेस में सबसे आगे थी टाटा एंड सन्स
उल्लेखनीय है कि आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप की बिड के दौरान टाटा एंड सन्स सबसे आगे चल रही थी और मीडिया रिपोर्टस की मानें तो वह एक मोटी रकम के साथ बोली लगाने वाला था और इस करार को हासिल करने की रेस में सबसे आगे था, हालांकि बीसीसीआई और टाटा के बीच कुछ ऐसी शर्तें थी जिस पर बात नहीं बन पाने के कारण टाटा समूह ने अंतिम बोली नहीं लगाई और यह करार ड्रीम 11 को मिल गया।
इन शर्तों के चलत टाटा के हाथ से गया टाइटल स्पॉन्सरशिप
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार टाटा ने बीसीसीआई के सामने मांग रखी थी कि वह तीन कैटेगिरी (ग्रुप के अलग तीन ब्रांड) के लिए स्लॉट ब्लॉक करना चाहता था लेकिन बीसीसीआई ने पहले से तय कर रखा है कि वह मौजूदा समय में सिर्फ सिंगल-ब्रांड ऐक्टिविटी के तहत तीनों कैटेगिरी के लिये अलग-अलग स्लॉट बुक करेगा।
एक सूत्र के अनुसार बीसीसीआई सिर्फ एक कैटगिरी के लिए ही स्लॉट बुक कर सकता था और यही बात टाटा के पक्ष में नहीं गई, जिसको लेकर टाटा ने आखिरी सेशन में बिड करने से इंकार कर दिया।
आईपीएल की स्पॉन्सरशिप के लिये ऐसे लगी बोलियां
टाटा के पीछे हट जाने से ड्रीम 11 के लिये टाइटल स्पॉन्सरशिप की राह आसान हो गई और उसने अगले 3 साल के लिये बोली लगाकर करार अपने नाम किया। ड्रीम11 की बोली इस तरह रही- 222 करोड़ रुपये पहले साल के लिए, 240 करोड़ रुपये दूसरे साल के लिए और तीसरे साल के लिए भी 240 करोड़ रुपये। यह औसत बोली 234 करोड़ रुपये रही। जबकि दो कंपनियां बायजूस (201 करोड) और अनएकेडमी (170 करोड़) क्रमश दूसरे और तीसरे स्थान पर रहें।