आरसीबी को मिली सीजन की सबसे बड़ी हार-
इस मैच में सबसे बड़ा फर्क दो कप्तान रहे। केएल राहुल ने जहां अपनी टीम के लिए 69 गेंदों पर नाबाद 132 रनों की पारी खेली तो वहीं विराट कोहली ने राहुल के दो बार कैच छोड़े और फिर बल्लेबाजी में भी 1 रन बनाकर हवा में कैच थमा बैठे।
IPL 2020: KXIP से हार के बाद कोहली ने मानी अपनी गलती- कैच नहीं मैच छूट गया
इस हार के बाद रॉयल चैलेंजर्स के नेट रन रेट की स्थिति काफी बदतर हो गई है। यह टीम माइनस 2.175 के एनआरआर पर चली गई है जो की केकेआर के बाद अंक-तालिका में अब तक का सबसे खराब नेट रन रेट है।
कोहली को धोनी से सबक लेना होगा-
यहां विराट कोहली को महेंद्र धोनी से सबक लेना चाहिए जिन्होंने अपने पिछले मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स से हार के बावजूद टीम के नेट रन रेट को बहुत ज्यादा गिरने नहीं दिया। धोनी की आलोचना भी काफी हुई थी कि वे जीत के लिए ना खेलकर अपने लिए खेल रहे हैं लेकिन फाफ डु प्लेसिस की भरसक कोशिशों के बाद धोनी ने तय किया कि जीत भले ही नसीब ना हो पर हार बदतर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अंत तक क्रीज पर खुद को बनाए रखा और राजस्थान के 217 रनों के लक्ष्य के जवाब में 20 ओवरों में 200 रन बनाए। अब इस टीम का 2 मैचों में एक हार और एक जीत के साथ नेट रन रेट माइनस 0.145 है।
नेट रन रेट और इसकी भूमिका-
आईपीएल में नेट रन रेट प्लेऑफ में जाने के लिए कई बार अहम भूमिका निभाता है। कुल आठ टीमों में जब दो या अधिक टीमों के प्वॉइंट समान होते हैं तो कौन सी टीम ऊपर रहेगी उसका फैसला नेट रन रेट के आधार पर ही किया जाता है।
नेट रन में दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं- किसी भी टीम द्वारा प्रति ओवर प्रतियोगिता में बनाए गए रन और उसी टीम द्वारा प्रति ओवर खर्च किए गए रन। पहले वाले में दूसरे वाला घटाकर एनआरआर प्राप्त हो जाता है। यानी अगर आप तेजी से ओवरों में रन बनाते हो और विपक्षी को कम रन बनाने देते हो तो आपका एनआरआर बढ़ता जाएगा जैसा की कल के मैच में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ हुआ।
धोनी ने हार में भी ढूंढने की कोशिश की थोड़ी सी जीत-
धोनी के विपरीत विराट कोहली का पक्ष 201 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 17 ओवरों में 109 रन बनाकर ही ढेर हो गया। ऐसे में कोहली के पास धोनी से सीख लेने के लिए यहां बहुत कुछ है। हालांकि सिक्के का दूसरा पहलू ये भी कहता है कि धोनी की तुलना में कोहली एक अधिक आक्रामक कप्तान हैं और वे केवल जीत के लिए चाहते थे इसलिए उन्होंने पॉजिटिव क्रिकेट खेलना चाहा लेकिन यह काम नहीं कर सका। जबकि धोनी ऐसे चतुर खिलाड़ी हैं कि हार में भी अपने लिए थोड़ी जीत ढूंढने के तरीके खोज लेते हैं।