नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें सीजन में भले ही चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम अपना जलवा दिखा पाने में कामयाब नहीं हुई है लेकिन आखिरी के कुछ मैचों में उसके सलामी बल्लेबाज रुतुराज गायकवाड़ ने अपनी बल्लेबाजी का कमाल दिखाया और लगातार 3 अर्धशतक लगाकर बता दिया कि आने वाले सालों में वह टीम के लिये बहुत बड़े मैच विनर बनने वाले हैं। इस बीच रुतुराज गायकवाड़ ने अपनी सफलता के पीछे अपने कोच संदीप चव्हाण का नाम लिया और बताया कि कैसे उनकी एक सलाह ने उनकी जीवन की दिशा ही बदल दी।
वहीं कोच संदीप चव्हाण ने भी सीएसके के इस सलामी बल्लेबाज के साथ अपनी 7 साल पहली उस मुलाकात के बारे में याद करते हुए बताया कि उन्होंने तब ऋतुराज को पारी में बतौर ओपनर खेलने की सलाह दी थी जिसके बाद न सिर्फ क्लब स्तर बल्कि राज्य स्तर पर भी उनके प्रदर्शन में बदलाव देखने को मिला।
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उल्लेखनीय है कि सीएसके ने लीग में अपने आखिरी के 3 मैचों में इस खिलाड़ी की दमदार पारियों के दम पर जीत की हैट्रिक लगाने का काम किया और तीनों ही मैच में मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड भी जीता, वहीं लीग के आखिरी मैच में कप्तान धोनी ने भी इस खिलाड़ी की जमकर तारीफ की।
कोच चव्हाण ने 7 साल पहले की उस मुलाकात को याद करते हुए कहा, ' ऋतुराज उस समय वेंगसरकर क्रिकेट अकादमी में सीखने आया करते थे। मैंने उस समय उनसे बात की थी, मेरे हिसाब से ऋतुराज उस समय 16 साल के थे और जूनियर स्तर पर महाराष्ट्र के लिय मिडिल ऑर्डर पर खेल रहे थे। मैंने उस समय ऋतुराज को क्लब मैच में ओपनिंग करने की सलाह दी और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में काफी फायदा मिलेगा।'
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कोच चव्हाण ने बताया कि वह स्थानीय टूर्नामेंट (मांडके ट्रॉफी) में पहली बार ओपनिंग करने उतरे थे और मेरी बात को सही साबित करते हुए पहले शतक और फिर 90 रन की पारी खेली। शुरुआत में ऋतुराज को बतौर ओपनर कुछ खामियों का सामना करना पड़ा लेकिन जल्द ही वह अपनी जिम्मेदारी में ढल गये और बतौर स्पेशलिस्ट ओपनर उभरे। कोच चव्हाण ने बताया कि जब गायकवाड़ 12 साल की उम्र में साल 2008-09 में अकादमी में शामिल हुए थे तभी उन्हें पता चल गया था कि इस खिलाड़ी में काफी टैलेंट है।
उन्होंने कहा, 'शुरुआत में उसके साथ तकनीक की समस्या थी, लेकिन उसने अंडर-14 की जगह अंडर-19 में खेलना शुरु किया और इससे उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ा। वह टूर्नामेंट के शुरुआती दो मैचों में सफल नहीं रहे थे, लेकिन उन्होंने तीसरे मैच में अच्छी पारी खेली जिससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा। उन्होंने फाइनल में 182 रन की पारी खेली जिसके बाद महाराष्ट्र की जूनियर टीम में उनका चयन हुआ।'
ऋतुराज के बचपन के दिनों के एक अन्य कोच मोहन जाधव ने कहा कि गायकवाड़ ने आईपीएल में जैसी सफलता हासिल की वैसी ही सफलता उन्होंने सीनियर स्तर पर भी हासिल की थी। ऋतुराज की सबसे बड़ी विशेषता खुद में सुधार करने की ललक और आपने खेल को अच्छे तरह से समझना है।