बीसीसीआई को मिलेगा देशी ब्रॉन्ड का फायदा
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच गलवान वैली में हुई हिंसक सैन्य झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी जिसके बाद से देश भर में लगातार चीन विरोधी माहौल बना हुआ है। ऐसे में जहां पतंजिल चीनी कंपनी वीवो के जाने के बाद इसे अपने स्वेदशी नारे को मजबूत करने का मौका देख रही है तो वहीं करार नहीं तोड़ने के चलते बीसीसीआई के पास यह एक डैमेज कंट्रोल करने का मौाक बनकर उभरा है। बता दें कि बीसीसीआई ने वीवो समेत सभी चीनी कंपनियों से करार तोड़ने से इंकार कर दिया था जिसके बाद सोशल मीडिया पर वह बुरी तरह ट्रोल हुई।
पतंजलि के प्रवक्ता ने आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप पर बात करते हुए कहा, 'हम इस बारे में सोच रहे हैं। यह वोकल फॉर लोकल की बात है। यह एक भारत ब्रांड को वैश्विक स्तर पर ले जाने की बात है और उसके लिए यही प्लैटफॉर्म है। हम इस दिशा में भी सोच रहे हैं।'
पतंजिल को होगा जबरदस्त फायदा
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते आईपीएल का आयोजन देश के बाहर खाली मैदान पर कराया जायेगा, जिसका मतलब है कि बोर्ड को स्टेडियम में मौजूद दर्शकों और अन्य चीजों के जरिये आमदनी नहीं होगी। हालांकि आईपीएल देखने वालों की संख्या करोड़ो में है जो कि डिजिटल और टीवी के माध्यम से जुड़ेंगे। ऐसे में कंपनियां जानती हैं कि इस इवेंट में विज्ञापन देकर अच्छे रिटर्न की उम्मीद की जाती है।
ब्रांड स्टेटरजिस्ट हरीश बिजूर कहते हैं, 'पतंजलि अगर टाइटल स्पॉन्सर बनता है तो इसमें आईपीएल से ज्यादा उसका फायदा है। पतंजलि अगर स्पॉन्सरशिप हासिल कर लेती है तो इसे राष्ट्रीयता से जोड़ा जाएगा क्योंकि इस समय चीन के खिलाफ देशभर में बड़ा भारी माहौल है।'
बीसीसीआई को भी मिलेगा फायदा
आपको बता दें कि आईपीएल में टाइटल स्पॉन्सरशिप से होने वाली सालाना कमाई बीसीसीआई और फ्रैंचाइजी के बीच आधी-आधी बांटी जाती है। वीवो ने साल 2018-2022 तक के पांच साल के लिए 2190 करोड़ रुपये में टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल की थी। यानी एक साल का करीब 440 करोड़ रुपये। ऐसे में बीसीसीआई को इतनी जल्दी इसके जरिये इतनी रकम मिल पाने की उम्मीद नहीं है लेकिन पतंजलि के इस रेस में शामिल हो जाने से बीसीसीआई को इससे होने वाले नुकसान में कमी की उम्मीद जरूर है।
पतंजलि के शामिल होने के बाद बीसीसीआई को टाइटल स्पॉन्सरशिप के जरिये 300-350 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है जो कि पहले 200-220 करोड़ रुपये ही थी।