टी20 और टेस्ट का फर्क बखूबी समझते हैं पुजारा-
पुजारा टी-20 और टेस्ट क्रिकेट के बीच का फर्क भी बखूबी बता रहे हैं और वह कहते हैं कि, टेस्ट क्रिकेट में आपको अपने विकेट की कीमत समझनी होती है जबकि T20 क्रिकेट में आपको अपने आप को अधिक व्यक्त करना होता है।
पुजारा ने ईएसपीएनक्रिकइंफो के साथ एक चैट में बताया कि, जिस तरह से सफेद गेंद क्रिकेट खेला जाता है मैं उसके हिसाब से ढलने के लिए मैं मानसिक तौर पर तैयार हो चुका हूं। मुझे लगता है कि जब एडजस्टमेंट करने की बात आती है तो यहां सारा खेल मेंटालिटी का होता है और आपको अपने ऊपर ज्यादा प्रैशर नहीं लेना चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में बहुत ज्यादा दबाव रहता है क्योंकि वहां आपके विकेट की कीमत काफी बड़ी होती है। लेकिन छोटे फॉर्मेट में आपको अपने आपको एक्सप्रेस करना चाहिए और जितने भी शॉट्स खेल सकते हैं उतने खेलने चाहिए।
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मैं अब काफी लचीले स्वभाव का खिलाड़ी हूं- पुजारा
चेतेश्वर पुजारा यह भी कहते हैं कि वह अब काफी लचीले स्वभाव के खिलाड़ी बन चुके हैं। पुजारा कहते हैं कि, अब मैं काफी लचीला हूं और किसी को भी टी20 के लिए ऐसा करना पड़ेगा। एक समय था जब खिलाड़ी अपने रोल को लेकर आदी हो जाते थे लेकिन अब विभिन्न तरह के क्रिकेट की डिमांड के चलते वही सफल होगा जो काफी लचीला रवैया अपनाता है।
'रोहित-कोहली को देख टी20 में आप सीख सकते हैं'
पुजारा ने T20 क्रिकेट में स्ट्राइक रेट की महत्व के महत्व पर भी बात की है। वे स्वीकार करते हैं कि वह बड़े पावर हिटर नहीं है और इसके साथ ही उन्होंने विराट कोहली और रोहित शर्मा को क्रिकेट बॉल को बेस्ट टाइमिंग करने वाला बल्लेबाज बताया है। हालांकि पुजारा आगे जोड़ते हैं कि आप भले ही पावर हीटर नहीं हो लेकिन विराट कोहली और रोहित जैसे खिलाड़ियों से आप काफी कुछ सीखते हैं क्योंकि यह दोनों खिलाड़ी भी बहुत बड़े पावर हिटर नहीं है लेकिन वह क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट में मेरे द्वारा देखे गए बेस्ट टाइमर है।