नई दिल्लीः सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच हुए मुकाबले में मैच के अंतिम ओवर के दौरान कुछ तनाव देखने को मिला। इस मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम 6 विकेट से जीतने में कामयाब रही थी। 150 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सनराइजर्स हैदराबाद एक स्टेज पर अच्छे दिखाई दे रहे थे लेकिन वे डेथ ओवर में फिनिश नहीं कर पाए। मुकाबले के अंतिम ओवर में एक छोटी सी घटना हुई जिसमें हर्षल पटेल ने कमर की ऊंचाई की एक फुलटोस गेंद फेंकी जिसकी नो-बॉल करार दिया गया। खास बात यह है कि यह मैच में उनकी दूसरी ऐसी फुलटोस थी जो कमर की ऊंचाई पर गई थी लेकिन फिर भी उनको बॉलिंग से नहीं हटाया गया।
यहां तक कि डगआउट में बैठे सनराइजर्स हैदराबाद के कप्तान डेविड वॉर्नर भी सवाल पूछते हुए दिखाई दिए और उन्होंने थर्ड एंपायर से बात की कि हर्षल पटेल लगातार गेंदबाजी क्यों कर रहे हैं? दूसरी और हर्शल पटेल गेंदबाजी जारी रखते रहे और उन्होंने अपनी टीम के लिए मैच भी बचा दिया। बता दे यह वही हर्षल पटेल है जिन्होंने पहले मुकाबले में मुंबई इंडियंस के खिलाफ 5 विकेट लिए थे।
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नियम कहता है कि दो बार कमर से ऊंचाई की बीमर गेंद फेंकने वाले बॉलर को बॉलिंग से हटा दिया जाता है। तो क्या इस मामले में अंपायर गलत थे? हर्षल पटेल को दो बीमर फेंकने के बावजूद गेंदबाजी करने की छूट क्यों दी गई? तो इसका जवाब यह है नहीं एंपायर गलत नहीं थे, क्योंकि ऐसी पहली नो बॉल 17.4 ओवर में जेसन होल्डर को फेंकी गई थी जो कि लेग स्टंप के बाहर थी और इस प्रकार यह खतरनाक श्रेणी में नहीं गिनी गई। नियमों के मुताबिक अंपायर को गेंद की दिशा के हिसाब से तय करना होता है। इसके बाद अंपायर देखते हैं कि क्या यह गेंद बल्लेबाज को नुकसान पहुंचा सकती थी या फिर नहीं।
अंपायरों ने पाया कि हर्षल पटेल की पहली गेंद लेग स्टंप से बाहर थी और इसको खतरनाक श्रेणी में नहीं गिना गया। इस प्रकार डेविड वार्नर के ऐतराज के बावजूद पटेल लगातार बॉलिंग जारी रखते रहे।