दिल्ली की पिच में नहीं थी कोई कमी
कोटला के मैदान पर डेविड वॉर्नर की अप्रोच से भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग खुश नजर नहीं आये और क्रिकबज से बात करते हुए कहा कि वॉर्नर को पिच समझने में गलती हुई और बल्लेबाजी के लिये अच्छी पिच पर रन बनाने में नाकाम रहे।
उन्होंने कहा,'अगर यह मैच चेन्नई के मैदान पर खेला गया होता तो 8 रन प्रति ओवर की गति से की गई यह साझेदारी बेहदर शानदार होती लेकिन यह दिल्ली का मैदान है चेपॉक का नहीं। यहां पर 171 कम स्कोर है क्योंकि यह पिच बल्लेबाजी के लिये अच्छी है। केन विलियमसन को इस पिच पर रन बनाने में कोई दिक्कत नहीं हुई जिसका मतलब है कि पिच बल्लेबाजी के लिये अच्छी थी।'
खराब मानसिकता से खेले डेविड वॉर्नर
सहवाग ने वॉर्नर की बल्लेबाजी की आलोचना करते हुए कहा कि वो खराब मानसिकता के साथ खेले और उनकी धीमी पारी के चलते हैदराबाद की टीम बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर सकी।
उन्होंने कहा,' मुझे लगता है कि डेविड वॉर्नर की मानसिकता इस मैच में बेहद खराब थी। आप उनसे इस तरह की धीमी पारी की उम्मीद नहीं करते हैं। उनकी अप्रोच ठीक नहीं थी। उन्हें बिना किसी हिचकिचाहट के साथ बल्लेबाजी करनी थी। विकेट बल्लेबाजी के लिये अच्छी थी और गेंद आसानी से बल्ले पर आ रही थी। अगर मनीष पांडे 36 गेंदों में अर्धशतक लगा सकते हैं तो वॉर्नर रन अ बॉल फिफ्टी क्यों लगा रहे हैं। हैदराबाद की टीम और रन बना सकती थी।'
वॉर्नर नहीं हैं अच्छे कप्तान
वीरेंदर सहवाग ने आगे बात करते हुए कहा कि वॉर्नर को मौका लेना चाहिये था और बाकी बल्लेबाजों को लाइन में देखते हुए बड़े शॉटस लगाने की ओर देखना चाहिये था। इसके साथ ही सहवाग ने वॉर्नर को बेहतर खिलाड़ी लेकिन बेकार कप्तान बताया।
उन्होंने कहा,'30-40 गेंद खेलने के बाद वॉर्नर को मौका बनाना चाहिये था और बड़े शॉट खेलने की कोशिश करनी चाहिये थी। वह 50 बॉल तक पहुंचने में कम से कम 30 रन और बना सकते थे। उन्हें पता था कि नीचे विलियमसन, केदार जाधव और विजय शंकर जैसे बल्लेबाज हैं जो नीचे आकर बड़े शॉट मार सकते हैं तो वो आक्रामक रुख अपना सकते थे। खैर मैं उन्हें कप्तान के तौर पर अच्छा रेट नहीं करता लेकिन वह पहले कुछ चीजें अच्छी किया करते थे जो वो सीएके के खिलाफ नहीं कर सके। अगर विलियमसन कप्तान होते तो हम उन्हें वो चीजें करते हुए देखते जो वॉर्नर नहीं कर सके।'