5. धोनी के दबाव में आ गया अंपायर-
यह वाक्या आईपीएल के पिछले सीजन यानी आईपीएल 2020 के 29 वे मैच के दौरान हुआ था। तब चेन्नई सुपर किंग और सनराइजर्स हैदराबाद की टीम खेल रही थी और सीएसके ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। शेन वाटसन ने उस मुकाबले में 38 गेंदों पर 42 रन बनाए थे जबकि रवींद्र जडेजा ने 10 गेंदों पर तेजी से 25 रन बनाए थे और इन पारियों के दम पर मैन इन यलो ने 167 रन बनाए।
इसके जवाब में सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज अच्छी शुरूआत देने में नाकामयाब रहे। केन विलियमसन ने 39 गेंदों पर 70 रन बनाए लेकिन इसके अलावा बाकी कोई भी ऐसा बल्लेबाज नहीं था जो सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से 25 रन पार कर पाता। लेकिन इसके बावजूद भी कीवी दिग्गज की हाफ सेंचुरी ने हैदराबाद की टीम को जीत से केवल 20 रन ही दूर रखा। आइए आपको बताते हैं कि मैच का विवादित भाग कौन सा था।
यह 19वें ओवर की दूसरी बॉल थी जिसको शार्दुल ठाकुर कर रहे थे और यह गेंदबाज से दूर स्विंग होती हुई चली गई। गेंद साफ तौर पर वाइड लाइन के पार चली गई थी और इसको वाइड देने के लिए अंपायर बाहों को फैलाने वाला ही था लेकिन तभी सीएसके के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उसको ऐसे गुस्से से देखा कि जैसे वे उसके फैसले पर सवाल उठाएंगे और धोनी का यह घूरना ही अंपायर को भयभीत करने के लिए काफी था और उसने अपना फैसला बदल दिया। उस गेंद को तब वाइड नहीं दिया गया क्योंकि अंपायर के सामने महेंद्र सिंह धोनी की घूरती हुई आंखें थी।
4. लसिथ मलिंगा की वो नो-बॉल
यह मुकाबला 28 मार्च 2019 में हो रहा था जिसमें मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम खेल रही थी। आरसीबी की टीम ने टॉस जीतकर मुंबई इंडियंस को बल्लेबाजी का न्योता दिया था। कप्तान रोहित शर्मा ने 48 रन बनाए थे जबकि हार्दिक पांड्या ने केवल 14 गेंदों पर ही 32 रन ठोक दिए थे और वे आउट भी नहीं हुए थे जिसके दम पर मुंबई की टीम ने स्कोरबोर्ड पर 8 विकेट गंवाकर 187 रन बनाए थे। बेंगलुरु की टीम में 2 दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली और एबी डिविलियर्स थे जिसमें कोहली ने 32 गेंदों पर 40 रन बनाए और एबी डिविलियर्स ने 41 गेंदों पर नाबाद 70 रनों की पारी खेली। दोनों के महान प्रयास के बावजूद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम आखिरी लक्ष्य हासिल करने से केवल 6 रन पीछे रह गई लेकिन यह मार्जिन भी खत्म हो सकता था अगर अंपायर ने भयानक गलती ना की होती तो।
गावस्कर को जो भी कहना है, सीधा मुझसे कहें, फोन चालू है, चाहे कॉल करें या मैसेज- बेयरस्टो
पारी की आखिरी गेंद पर विराट कोहली की टीम को जीत के लिए 7 रनों की जरूरत थी और शिवम दुबे स्ट्राइक पर थे। ऐसे में लसिथ मलिंगा आखिरी गेंद फेक रहे थे और उनका पैर क्रीज से बाहर निकल गया और यह स्पष्ट तौर पर नो-बॉल थी लेकिन अंपायर की नजरों की पकड़ में नहीं आई। शिवम दुबे ने गेंद खेली लेकिन रन नहीं लिया।
अगर यह नो बॉल घोषित की जाती तो एक रन आरसीबी के टोटल में जुड़ जाता और अंतिम गेंद एक फ्री हिट होती जिस पर शायद छक्का भी लग सकता था। और अगर अंपायर तुरंत ही नो-बॉल दे देता तो हो सकता है कि बल्लेबाज क्रीज को पार करके दूसरे छोर पर खड़े एबी डिविलियर्स को स्ट्राइक लेने का मौका देता। और यह तो सभी जानते हैं कि इतने हाई प्रेशर में एबी डी विलियर्स जब रौद्र रूप में हो तो उनके सामने कोई भी गेंदबाज नहीं टिकता चाहे वह लसिथ मलिंगा ही क्यों ना हो। तो ऐसे में अंपायर की गलती विराट कोहली की टीम को भारी पड़ी और शायद वे एक मैच जीत भी सकते थे जिसको 6 रनों से हार गए।
3. रीप्ले ही दूसरी बॉल का देख लिया-
आईपीएल का एक और ब्लेंडर तब आया जब मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर लीग मैच खेल रहे थे। मामला 17 अप्रैल 2018 का है और मुंबई ने पहले बैटिंग करने का फैसला किया था जिसमें कप्तान रोहित शर्मा ने 52 गेंदों पर 94 रनों की पारी खेली और अपनी टीम को 213 रन बनाने में मदद की। इसके जवाब में विराट कोहली ने जबरदस्त 92 रन बनाए और फिर भी आरसीबी की टीम 167 रन बना पाए। लेकिन आरसीबी की पारी के 18वें ओवर में अंपायर ने एक ऐसी गलती की जिसको हम ब्लेंडर कह सकते हैं।
99 पर आउट होने से टूटा दिल, बेन स्टोक्स ने आसमान की ओर देख पिता से कहा 'सॉरी'
तब जसप्रीत बुमराह ने एक छोटी गेंद फेंकी और बल्लेबाज उमेश यादव ने अंधाधुंध बल्ला घुमा दिया। गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा लिया और सीधी रोहित शर्मा के हाथों में चली गई जिन्होंने कैच लपकने में गलती नहीं की। लेकिन तब अंपायर इस बात को लेकर निश्चित नहीं था की गेंद सही पड़ी थी या फिर नहीं क्योंकि उसको भ्रम था कि बुमराह का पैर शायद आगे निकल गया। हालांकि रीप्ले ने यह बात कंफर्म कर दी थी कि गेंद बिल्कुल सही थी तो फिर दिक्कत किस बात की थी?
दरअसल प्रॉब्लम थी कि रीप्ले में यह दिखाया गया था कि उमेश यादव स्ट्राइक पर नहीं थे। यानी कि थर्ड एंपायर दरअसल किसी और बॉल का रीप्ले देख रहे थे जिसमें उमेश यादव दूसरे छोर पर नजर आ रहे थे। जी हां गलतियां खेल में होती हैं लेकिन यह एक ऐसी गलती थी जहां थर्ड अंपायर पूरी तरह से लापरवाह नजर आया।
2. कमर से भी ऊंची गेंद को क्लियर दे दिया!
यह वाला मामला 22 अप्रैल 2018 को हुआ था जब चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद का मुकाबला चल रहा था। तब केन विलियमसन अंपायर के गलत फैसले का शिकार हुए थे और यह लेग अंपायर था। और मामला हारने वाली टीम को इतना भारी पड़ा की जीत और हार का अंतर केवल 4 रनों का था। यह सनराइजर्स हैदराबाद की पारी की बात है और 17वां ओवर चल रहा था तब शार्दुल ठाकुर ने उस ओवर की दूसरी गेंद केन विलियमसन की कमर के ऊपर फेंकी। लेकिन सभी को आश्चर्यचकित करते हुए अंपायर ने गेंद को एक साफ-सुथरी डिलीवरी करार दिया।
अंपायर चाहता तो क्लियर करने के लिए तीसरे अंपायर के पास भी मामला रेफर कर सकता था लेकिन उसने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। अगर नो-बॉल मिल जाती तो उसका मतलब यह होता कि हैदराबाद की टीम के पास अतिरिक्त गेंद भी मिल जाती और इसके साथ ही ऑरेंज आर्मी को फ्री-हिट भी मिलती। लेकिन लेग अंपायर की इस गलती के चलते चेन्नई सुपर किंग्स की टीम फायदा उठाकर ले गई।
जहां तक मैच की बात है तो चेन्नई ने पहले बैटिंग करते हुए 183 रनों का स्कोर बोर्ड पर लगा दिया था। येलो ब्रिगेड की ओर से अंबाती रायडू ठोस बल्लेबाज साबित हुए जिन्होंने 213.51 के स्ट्राइक रेट से 79 रन ठोक दिए थे। जवाब में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम 178 रन 6 विकेट के नुकसान पर बना पाई जिसमें केन विलियमसन के 84 रन शामिल थे।
1. शॉर्ट रन देना पड़ गया पंजाब किंग्स को भारी-
आईपीएल का यह मुकाबला पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच हुआ था। 20 सितंबर 2020 को हुआ यह मैच सुपर ओवर में गया था जहां दिल्ली की टीम जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन इस मैच में शॉर्ट रन का मामला चर्चा में आया क्योंकि वह शॉर्ट रन गलत तरीके से दिया गया था और यह पंजाब किंग्स की पारी के 19वें ओवर की तीसरी गेंद का मामला था। मयंक अग्रवाल उस गेंद पर 2 रन के लिए भागे थे लेकिन अंपायर ने इसको short-run करार दिया क्योंकि उसको लगा कि क्रिस जॉर्डन के बल्ले ने लाइन को क्रॉस नहीं किया है। लेकिन तब रीप्ले में साफ पता चला था कि जॉर्डन ने तो वह रन कंप्लीट कर लिया था क्योंकि बल्ला लाइन के पार जा चुका था। इस फैसले ने काफी विवादों को जन्म दिया क्योंकि यह फैसला मैच के परिणाम को भी बदल सकता था।
आइए अब मैच के बारे में बात करते हैं। इस मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट पर 157 रन बनाए थे। मार्कस स्टोइनिस 21 गेंदों पर 23 रन बनाने वाले बल्लेबाज बने थे। पंजाब किंग्स की बल्लेबाजी केवल मयंक अग्रवाल के इर्द-गिर्द घूमती रही थी क्योंकि इस ओपनर ने 60 गेंदों पर 89 रनों की पारी खेली थी लेकिन उनको अपनी टीम के साथियों से कोई सहयोग नहीं मिला था। सच यह है कि पंजाब किंग्स के दूसरे सर्वोच्च रन स्कोरर के गौतम थे जिन्होंने 20 रन बनाए थे। ऐसे में पंजाब किंग्स की टीम 8 विकेट पर 157 रन बनाकर ढेर हो गई थी।
फिर सुपर सुपर ओवर में मैच हुआ और वहां दिल्ली कैपिटल्स विजेता बनकर उभरी। पंजाब किंग्स की टीम केवल 2 रन बना पाई और दिल्ली की टीम ने इसको आसानी से चेज करते हुए मैच जीत लिया था।
लेकिन अगर शॉर्ट रन नहीं दिया जाता तो शायद मैच सुपर ओवर में भी नहीं जाता!