15 करोड़ 50 लाख रुपए की बोली
कमिंस का जलवा यहीं पर नहीं रुका बल्कि यह दाएं हाथ का तेज गेंदबाज 15 करोड़ 50 लाख रुपए में केकेआर का हो गया। खास बात यह रही कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु अंत तक कमिंस को हथियाने के लिए नीलामी युद्ध में उलझा रहा। अब सवाल ये है कि कमिंस पर केकेआर के इस बड़े दांव का क्या मकसद है? दरअसल इसके लिए हमे केकेआर से जुड़े कुछ अहम मुद्दों की ओर जाना होगा। पिछले सीजन में यह टीम प्लेऑफ में भी जगह बनाने में नाकामयाब रही थी। दो बार की इस चैंपियन टीम के साथ दिक्कत यह थी कि यह पिछले सीजन में अपनी गेंदबाजी के साथ जूझती रही। आईपीएल 2019 में इस टीम ने केवल 56 विकेट अपने नाम किए थे जो एक सीजन में सबसे कम थे।
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केकेआर ने साधा ये मकसद-
इतना ही नहीं डेथ ओवर में इस टीम का इकॉनमी रेट भी बहुत खराब था (सीजन का दूसरा सबसे खराब) जिसके चलते विपक्षी टीमों को स्लॉग ओवरों में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके कोलकाता को मुकाबले से बाहर करने का मौका मिल जाता। जबकि पॉवर-प्ले में भी यह टीम लगातार संघर्ष कर रही थी। ऐसे में इस टीम में एक तगड़े तेज गेंदबाज की सख्त दरकार थी जो कमिंस के आने से पूरी हो गई है। फिलहाल कमिंस केकेआर की तेज गेंदबाजी पंक्ति में शुमार हो गए हैं जो इस प्रकार है- हैरी गुरनी, लॉकी फर्ग्यूसन, कमलेश नागरकोटी, शिवम मावी, प्रदीश कृष्णा, संदीप बैरियर
ऐसे शुरू हुई नीलामी-
आईपीएल 2020 के पहले खरीददार क्रिस लिन रहे जिनको उनके बेस प्राइज में खरीदने के साथ ही मुंबई इंडियंस ने पहली बोली अपने नाम कर ली। लिन को उनके बेस प्राइज पर 2 करोड़ रुपए में खरीदा गया है। उसके बाद बारी इंग्लैंड के विश्व कप विजेता कप्तान इयोन मॉर्गन की थी जिनको 5 करोड़ 25 लाख रुपए में खरीदा गया। मॉर्गन के लिए केकेआर और दिल्ली कैपिटल्स के बीच बिडिंग वार देखने को मिला लेकिन अंतिम बाजी कोलकाता के हाथ लगी। उसके बाद रॉबिन उथप्पा को 3 करोड़ रुपए में राजस्थान रॉयल्स ने खरीद लिया।
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लेकिन एक बार फिर साबित हुआ कि टी-20 क्रिकेट में टेस्ट विशेषज्ञ खिलाड़ियों की डिमांड बहुत पीछे है। इसकी बानगी भारत के दो आला दर्ज के टेस्ट खिलाड़ियों से देखने को मिली जो नीलामी में अपने खरीददार की राह तलाशते रह गए लेकिन उनको कोई खरीददार नहीं मिला।