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जिसका डर था वही हुआ, कोहली की कप्तानी में मुश्किल बन गया 'चैंपियन' बनना

स्पोर्ट्स डेस्क (राहुल) : आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप...यानी कि ऐसा टूर्नामेंट जिसे जीतना अब सभी टीमों का एक सपना बन चुका है। हालांकि यह सपना सबसे पहले न्यूजीलैंड का पूरा हुआ। वो भी भारतीय टीम को हराकर। साउथेंप्टन में जब मुकाबला शुरू हुआ था तो उससे एक दिन पहले ही भारत की प्लेइंग इलेवन घोषित होने से कई पूर्व दिग्गजों को लगा कि चयन सही नहीं। पहले ही दिन बारिश ने कहर भरपाया। टाॅस नहीं हो सका तो लगा कि अगले दिन जब सिक्का उछलेगा तो प्लेइंग इलेवन में बदलाब हो सकता है, लेकिन भारत दो स्पिनरों के साथ उतरा। हालांकि कप्तान विराट कोहली को इस फैसले से अफसोस नहीं है। वहीं न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने पिच को पढ़ते हुए पांच तेज गेंदबाजों के साथ उतरना सही समझा।

जिसका डर था वही हुआ

जिसका डर था वही हुआ

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कोहली की किस्मत उनका साथ नहीं दे रही। ना ही उन्होंने चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरना सही समझा। हालांकि जो उतारे उनमें से एक तो बिल्कुल फीका पड़ गया। वो थे जसप्रीत बुमराह, जिन्होंने 36.4 ओवर फेंके लेकिन विकेट नहीं ले सके। एक फैक्ट और रहा...बारिश के कारण हालात ऐसे थे कि रविचंद्रन अश्विन या रविंद्र जडेजा की जगह एक तेज गेंदबाज को शामिल करना चाहिए था। मोहम्मद सिराज सही विकल्प थे। हालांकि अश्विन ने कुल 4 विकेट लिए, जबकि जडेजा एक ही विकेट ले सके। टेस्ट में किसी गेंदबाज का ऐसा प्रदर्शन तालियां बजाने लायक नहीं होता, लेकिन सिराज को माैका दिया जाता तो शायद मैच का रुख बदल सकता था। न्यूजीलैंड ने एक भी स्पिनर को माैका नहीं दिया और तेज गेंदबाजों ने आसानी से भारत को दोनों पारियों में ऑल आउट किया।

शान से किया था फाइनल तक का सफर

शान से किया था फाइनल तक का सफर

भारतीय टीम ने फाइनल तक पहुंचने के लिए दमदार खेल दर्शकों के सामने पेश किया था। सबसे पहले विंडीज को उसके घर में 2-0 से हराया। फिर साउथ अफ्रीका को घरेलू मैदान में 3-0 से पटखनी दी। इसके बाद बांग्लादेश को घरेलू धरती पर 2-0 से राैंदा। लेकिन इसे बाद टीम को न्यूजीलैंड दाैरे में 0-2 से हार मिली थी। फिर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर पर 2-1 से हराया। इसके बाद इंग्लैंड को अपनी धरती पर 3-1 से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया था। इस तरह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र में भारत ने 17 में से 12 मैच जीतकर फाइनल में प्रवेश किया था। वहीं दूसरी ओर न्यूजीलैंड ने 7 मैच जीतकर ही दूसरे स्थान पर रहकर पहुंच गई थी।

कोहली की कप्तानी में मुश्किल बन गया 'चैंपियन' बनना

कोहली की कप्तानी में मुश्किल बन गया 'चैंपियन' बनना

यह कहना गलत नहीं होगा कि कोहली की कप्तानी में 'चैंपियन' बनना मुश्किल बन गया है। भारतीय टीम कोहली की कप्तानी में कोई आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत सका है। आखिरी खिताबी जीत 2013 में चैंपियंस ट्राॅफी के रूप में थी, जब महेंद्र सिंह धोनी टीम के कप्तान थे। धोनी इकलाैते कप्तान हैं जिसने आईसीसी के तीनों खिताब टीम को दिलाए हों। 2007 में टी20 विश्व भी उनकी कप्तानी में आया आैर 2011 वनडे विश्व कप भी। पहला खिताब 1983 में कपिल देव की कप्तानी में आया था, लेकिन विराट कोहली अपनी कप्तानी में तीन टूर्नामेंट खेल चुके हैं, लेकिन फाइनल नहीं जीत सके।

साल 2016 में हुई टी20 विश्व कप में कोहली की कप्तानी में अच्छी शुरूआत की, लेकिन सेमीफाइनल में विंडीज ने उनको हराकर बाहर का रास्ता दिखाया। फिर 2017 की चैंपियंस ट्राॅफी में भारत को फाइल में पाकिस्तान के हाथों पटखनी मिली। हर बार की तरह 2019 वनडे विश्व कप में भी भारतीय टीम ने बड़ी टीमों को राैदकर सेमीफाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन यहां उन्हें न्यूजीलैंड ने मात दे दी। अब आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भी भारतीय टीम फाइनल में जीत हासिल नहीं कर सकी। नतीजन, कोहली की कप्तानी में टीम ने चार आईसीसी टूर्नामेंट खेले, लेकिन एक भी नहीं जीत पाई। ऐसा लगता है कि कोहली की किस्मत में रिकाॅर्ड बनने तो हैं, लेकिन खिताब जीतना नहीं। आईपीएल में राॅयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के लिए भी कोहली 2008 से कप्तानी कर रहे हैं, लेकिन खिताब नहीं दिला पाए हैं।

Story first published: Monday, July 12, 2021, 16:44 [IST]
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