'त्रिमूर्ति' को जारी रखना पड़ेगा धुआंधार प्रदर्शन
यह 'त्रिमूर्ति' है शिखर धवन, रोहित शर्मा और खुद कप्तान विराट कोहली की। इन तीनों खिलाड़ियों ने कई बार अपने दम पर भारत को ऐतिहासिक जीतें दिलाई हैं। इनके फ्लाॅप होते ही टीम लड़खड़ाती हुई जीत से दूर चली जाती है। अगर हम पिछले 4 साल पुराने आंकड़े देखें तो आप भी इस बात पर सहमति जताएंगे। 2015 वर्ल्ड कप के बाद भारत ने 86 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें टाॅप 3 बल्लेबाजों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। ये टाॅप 3 बल्लेबाज धवन, रोहित व कोहली ही हैं। पिछले 4 सालों में इन तीनों बल्लेबाजों ने मध्यक्रम की तुलना में 6030 रन अधिक बनाए हैं। इस बीच इन्होंने मिलकर कुल 45 शतक लगाए, जबकि मध्यक्रम के बल्लेबाज केवल छह शतक लगा पाए। यही नहीं चोटी के तीन बल्लेबाजों ने मध्यक्रम के 35 अर्धशतकों से लगभग दुगुना 67 अर्धशतक जमाए। यह आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि भारत के लिए इन तीनों बल्लेबाजों का विश्व कप के दाैरान कितना महत्तव रहने वाला है।
कोहली ऐसा करने वाले अकेले बल्लेबाज
'रन मशीन' कोहली का बल्ला 2015 के बाद आग उगलता ही आ रहा है। कप्तान कोहली 2015 से अब तक 65 मैचों में शीर्ष क्रम में उतरे जिनमें उन्होंने 83.76 की औसत 98.54 के स्ट्राइक रेट से 4272 रन बनाए जिसमें 19 शतक और 16 अर्धशतक शामिल हैं। पिछले 4 सालों में वह दुनिया में शीर्ष क्रम के अकेले बल्लेबाज रहे जिन्होंने 4000 से अधिक रन बनाए। इनके बाद 'हिटमैन' रोहित का नंबर आता है जिन्होंने 71 मैचों में 61.12 की औसत से 3790 रन बनाए। उन्होंने इस बीच 15 शतक और 16 अर्धशतक जमाए। रोहित के सलामी जोड़ीदार धवन ने 67 मैचों में 45.20 की औसत से 2848 रन बनाए जिसमें आठ शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं। भारत ने पिछले 4 सालों से 86 मैचों में से 56 में जीत दर्ज की और इसकी मुख्य वजह शीर्ष क्रम यानि पहले से तीसरे नंबर के बल्लेबाज का अच्छा प्रदर्शन रहा।
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राहुल को मिला माैका पर चले नहीं
इस 'त्रिमूर्ति' के अलावा केएल राहुल को भी तीसरे नंबर पर खेलने का माैका मिला लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। राहुल को पिछले 4 सालों में इस नंबर पर 9 मैच खेलने का माैका मिला लेकिन वह एक शतक व दो अर्धशतक की मदद से 310 रन बी बना सके। ऐसे में साफ झलकता है कि टीम की नैय्या पार लगाने का दामोदार कोहली, धवन, रोहित के कंधों पर ही है., क्योंकि मध्यक्रम अभी भी मजबूत नहीं है। चाैथे नंबर के लिए हालांकि विजय शंकर को चुना गया लेकिन उनके पास अनुभव की कमी है। वह केवल 9 मैच ही अभी तक खेल सके हैं। ऐसे में उनपर भरोसा करना बेवकूफी होगी। कुल मिलाकर यही दिख रहा है कि मध्यक्रम में एक बार फिर विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ही काम आने वाले हैं। सारी जिम्मेदारी उनके कंझों पर आने वाली है। पिछले विश्व कप के बाद 79 मैचों में 44.46 की औसत से 2001 रन बनाये। जिसमें एक शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं। धोनी के अलावा केवल केदार जाधव (58 मैचों में 1154 रन) ही इन चार वर्षों में 1000 रन के पार पहुंचे।