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महिला क्रिकेट के नियमों में यह 2 बदलाव करना चाहती हैं जेमिमा रोड्रिगेज

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अगर पिछले 2 दशक में खेले गये मैचों पर नजर डालेंगे तो यह साफ हो जायेगा कि भारत में पुरुषों के साथ महिला क्रिकेट की लोकप्रियता में भी बढ़ोतरी हुई है। महिला क्रिकेट में लोगों की दिलचस्पी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर के कई देशों में देखने को मिली है। इसका सबसे बड़ा सबूत है मार्च में ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में हुए महिला टी20 विश्व का फाइनल मैच है जिसे करीब 83 हजार दर्शक देखने पहुंचे थे। यह आईसीसी की ओर से आयोजित किये गये किसी भी महिला क्रिकेट टूर्नामेंट में दर्शकों की ओर से लगाई गई सबसे बड़ी हाजिरी है।

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इस बीच भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिगेज ने कीवी टीम की कप्तान सोफी डिवाइन के साथ '100' इनोवेशन्स' के सेशन में भाग लिया जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की पूर्व क्रिकेटर और शीर्ष कमेंटेटर मेल जोंस के साथ बात करते हुए महिला क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के लिये 2 मुख्य बदलावों के बारे में बात की।

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महिला क्रिकेट में लाने होंगे यह बदलाव

महिला क्रिकेट में लाने होंगे यह बदलाव

‘100' इनोवेशन्स' नाम के वीडियो पॉडकास्ट में शिरकत करते हुए जेमिमा रोड्रिगेज और सोफी डिवाइन ने महिला क्रिकेट में छोटी पिचों, छोटी गेंद और सुपर सब (सब्स्टीट्यूट) जैसे बदलावों के विषय पर चर्चा की और बताया कि वह इस बारे में क्या सोचते हैं।

कीवी कप्तान डिवाइन ने कहा, ‘कुछ बदलाव करना हमेशा अच्छा है जिससे पता चल जाता है कि क्या कारगर होगा। मैं शायद छोटी गेंद की प्रशंसक हूं लेकिन पिच को उतना ही रखा जाए जिससे मुझे लगता है कि तेज गेंदबाज रफ्तार से गेंदबाजी कर पाएं और स्पिनर गेंद को ज्यादा टर्न कर पाएं।'

पुरुषों से महिला क्रिकेट की तुलना करना बेमानी

पुरुषों से महिला क्रिकेट की तुलना करना बेमानी

वहीं भारतीय महिला बल्लेबाज रोड्रिगेज छोटी पिचों के मामले पर डिवाइन से अलग राय रखती नजर आयीं। उनका मानना है कि छोटी पिचों को रखने से अगर खेल में सुधार होता है तो जरूर करना चाहिये, हालांकि इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिये कि महिला क्रिकेट की तुलना किसी भी हाल में पुरुषों के क्रिकेट से नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं कहूंगी की पुरुष और महिला क्रिकेट की तुलना नहीं करनी चाहिए। क्योंकि आपको स्वीकार करना होगा कि दोनों के बीच थोड़ा अंतर है। लेकिन हां, हमें छोटी पिच के इस्तेमाल के लिए खुला होना चाहिए, इसे आजमाना चाहिए। अगर इससे खेल में सुधार करने में मदद मिलती है और इससे अगले स्तर तक पहुंचा जा सकता है तो क्यों नहीं?'

पारंपरिक क्रिकेट की सोच से बाहर आना जरूरी

पारंपरिक क्रिकेट की सोच से बाहर आना जरूरी

उल्लेखनीय है कि सोफी डिवाइन को लगता है कि अगर महिला क्रिकेट में गेंद के साइज को छोटा किया जाता है तो इससे महिला क्रिकेट में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। गौरतलब है सोफी ने इस साल आईसीसी महिला टी20 विश्व कप में न्यूजीलैंड के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने का काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगर हम पारंपरिक प्रारूप में ही अटके रहेंगे तो हमें खेल में काफी नए खिलाड़ी और नए बच्चे नहीं मिल पाएंगे। इसलिए मुझे लगता है कि यह बहुत ही रोमांचक विचार है जिससे हम शायद लोगों को प्रोत्साहित कर पाएंगे।'

Story first published: Friday, June 12, 2020, 14:32 [IST]
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