भारतीय क्रिकेट की मौजूदा स्थिति-
कुल मिलाकर भारतीय खिलाड़ियों में युवाओं ने यह साबित किया है कि वह जिम्मेदारी मिलने पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और उनके अंदर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाने का पर्याप्त कौशल मौजूद है। इन खिलाड़ियों की अगर बात करें तो इनमें मोहम्मद सिराज, शुभमन, वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, टी नटराजन, सूर्यकुमार यादव और इशांत किशन जैसे नाम लिए जा सकते हैं जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में निराश नहीं किया है। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर कामरान अकमल भी भारतीय टीम के टैलेंट पूल से काफी प्रभावित है। उन्होंने राहुल द्रविड़ से लेकर अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण के टीम में योगदान को लेकर काफी बात की और कहा कि इन खिलाड़ियों ने टीम में अपने अनुभव का बड़ा फायदा पहुंचाया है।
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धोनी को छोड़कर किसी दिग्गज ने ऐसा नहीं किया- कामरान अकमल
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने यूट्यूब पर अपने चैनल खोले हुए हैं जहां वे भारतीय क्रिकेट के बारे में भी काफी बातें करते हैं। कामरान अकमल ने ऐसे ही अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा, "भारतीय क्रिकेट ने अपने सफेद गेंद मुकाबलों को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया है। स्कूली लेवल पर भारत 2 दिन, 3 दिन के क्रिकेट मुकाबले खेलता है। आज उनके पास 50 खिलाड़ियों का पूल मौजूद है क्योंकि भारत ने टेस्ट क्रिकेट को बहुत महत्व दिया। महेंद्र सिंह धोनी को छोड़कर बाकी किसी भी भारतीय दिग्गज ने सफेद गेंद खेलने के बाद संन्यास नहीं लिया बल्कि उन्होंने लाल गेंद से खेल के बाद संन्यास की घोषणा की। सभी खिलाड़ी टेस्ट मैच को इस तरह से खेलते हैं जैसे यह उनका अंतिम मुकाबला हो। इसी बात से पता चलता है कि उनकी सोच किस तरह की है, किस तरह से एक टीम बनाई जाती है और किस तरीके से भारतीय सेटअप में खिलाड़ियों को तैयार किया जाता है।"
सूर्यकुमार यादव का उदाहरण दिया-
कामरान अकमल कहते हैं कि चाहे यह सफेद गेंद या फिर लिस्ट ए के खिलाड़ियों की बात हो, जब भी यह लोग घरेलू स्तर से अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में आते हैं वह पहले ही 40 से 50 मैच खेल चुके होते हैं। "आप सूर्यकुमार यादव का उदाहरण देखिए जिन्होंने लंबे इंतजार के बाद हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ अपना डेब्यू किया। कई खिलाड़ियों को 4 से 5 साल का घरेलू अनुभव होता है और जब वह भारतीय क्रिकेट में अपनी एंट्री करते हैं तो पहले से ही काफी परिपक्व हो चुके होते हैं। भारतीय क्रिकेट की मानसिकता सराहनीय है। अगर आप सभी दिग्गजों को जो कि नब्बे के दशक में खेलते थे जिनमें राहुल द्रविड़ से लेकर अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण तक शामिल हैं वे सभी किसी न किसी तरीके से भारतीय क्रिकेट में अपना योगदान देने के लिए इंवॉल्व रहे हैं। इस तरीके से नई पीढ़ी की मदद होती रहती है और ऐसा केवल आईपीएल को लेकर नहीं होता बल्कि घरेलू क्रिकेट के लिए भी सुधार करने की कोशिश हमेशा रहती है। इन लोगों ने अपना खेलने का तरीका ब्रांड ऑफ क्रिकेट नहीं बदला है लेकिन खेलने के स्तर को काफी ऊंचा उठा दिया है।