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खुद को कप्तान बनाये जाने पर कपिल देव ने किया बड़ा खुलासा, सफलता के लिये किसे दिया श्रेय

नई दिल्ली। भारत के लिये क्रिकेट में पहला विश्वकप जीतने वाले कप्तान कपिल देव ने अपने खेल के दिनों को याद करते हुए कप्तानी अनुभव को शेयर किया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनके सफल कप्तान बनने के पीछे उनकी टीम और उसके साथियों का योगदान रहा। कपिल देव ने यह खुलासा क्रेड की ताजा सीरीज द लॉन्ग गेम के दौरान किया जहां पर क्रिकेटर्स अपने जीवन, करियर और उससे मिली सीख के बारे में बात करते हैं। अपने बेहतरीन करियर के बारे में बात करते हुए कपिल देव ने उस समय को याद किया जब 1984 में ईडन गार्डन्स के एक मैच में लापरवाही से खेले थो उन्हें टीम की कप्तानी से हटा दिया गया था।

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उन्होंने कहा,'जब बोर्ड ने मुझे कप्तान बनाया तो मुझे लगा था कि मैं उसे डिजर्व नहीं करता और जब उन्होंने मुझे टीम की कप्तानी से हटा दिया तो मैंने खुद से यही कहा कि शायद मैंने कुछ अच्छा नहीं किया। हालांकि इस दौरान मैं एक चीज समझ चुका था कि जब आपको जीत मिलती है तो यह कभी भी 'मैं जीता' नहीं होता लेकिन जब आपको हार मिलती है तो कप्तान की जिम्मेदारी होती है कि वो उसका जिम्मा ले।'

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प्रतिभा से ज्यादा समर्पण की दरकार

प्रतिभा से ज्यादा समर्पण की दरकार

कपिल देव ने आगे बात करते हुए कहा कि एक कप्तान के तौर पर आपके लिये सबसे जरूरी होता है टीम के प्रति आपका कमिटमेंट, टीम में कई बार प्रतिभाशाली खिलाड़ी आपको निराश कर सकते हैं लेकिन टीम के लिये समर्पित खिलाड़ी कभी भी आपको निराश नहीं होने देगा।

गौरतलब है कि कपिल देव ने महज 23 साल की उम्र में ही भारतीय टीम की कमान संभाल ली थी और अगले साल ही देश के लिये विश्वकप जीत लिया। अपने करियर के उस सुनहरे दौर को याद करते हुए कहा कि मैं उस समय काफी युवा था और कप्तानी में उस वक्त मुझसे ज्यादा मेरे सीनियर्स का योगदान रहा।

कपिल देव ने खोला सीनियर्स को संभालने का राज

कपिल देव ने खोला सीनियर्स को संभालने का राज

उन्होंने कहा,'मैं उस वक्त काफी युवा था और टीम में मेरे साथ कई सारे सीनियर खिलाड़ी थे जो कि काफी टैलेंटेड भी थे। मेरा काम बस उनको एक साथ लेकर चलना था। मैं सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल और सैयद किरमानी जैसे दिग्गजों को उनका काम करना नहीं सिखा सकता था। मेरा काम था कि मैं उन सभी को एक साथ लेकर चल सकूं।'

कपिल देव ने आगे बात करते हुए कहा कि मैंने हमेशा एक बात कही हैं कि जब आप मैदान पर उतरते हैं तो आपसे बेहतर कोई नहीं। आप अपने विरोधियों का सम्मान मैदान पर उतरने से पहले और मैदान से जाने के बाद चाहे जितना कीजिये लेकिन जब आप मैच के दौरान खेल रहे हैं तो मैदान पर आपसे बेहतर कोई भी नहीं है।

सफलता के लिये छोटे-छोटे लक्ष्य जरूरी

सफलता के लिये छोटे-छोटे लक्ष्य जरूरी

कपिल देव ने इस दौरान पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की जमकर तारीफ की और कहा कि खेल के प्रति उनका समर्पण और कप्तानी को लेकर उनके अनुभव से उन्हें काफी सीख मिली जो कि किसी भी युवा खिलाड़ी की सफलता के लिये आज भी बहुत जरूरी है।

कपिल देव ने गावस्कर के साथ अपनी तस्वीर पर देखते हुए कहा,'सुनील गावस्कर खेल के प्रति इतने समर्पित थे कि आपको उन्हें देख कर प्रेरणा मिलती थी। कई बार आपको अपने खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखने को मिलता है। एक बार उन्होंने मुझसे कहा था कि आप एक ओवर में शतक नहीं लगा सकते हैं जिसके चलते आपको हमेशा छोटे-छोटे टारगेट बनाने चाहिये, ताकि वहां पर पहुंच सकें। आपको पहले 15 रन, 40 रन, 60 रन, 80 रन का लक्ष्य रखना चाहिये और जैसे-जैसे आप हर लक्ष्य को पूरा करते जायें उसे शतक में परिवर्तित कर दें। आपको खुद पर सीधा शतक बनाने के लिये दबाव नहीं बनाना चाहिये।'

Story first published: Thursday, October 21, 2021, 21:31 [IST]
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