नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम को 1983 आईसीसी विश्व कप का खिताब दिलाने वाले कपिल देव ने एक खुलासा किया है। विरोधी टीमों को उन्हीं के घर में मात देने वाले कपिल को अपने एक साथी खिलाड़ी से बहुत डर लगता था। उन्होंने बिश्व सिंह बेदी की कप्तानी में डेब्यू किया था। कपिल ने उस खिलाड़ी का नाम बताया जिससे वो डरते थे। उन्होंने कोच डब्ल्यूवी रमन के साथ हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दाैरान कहा कि वह श्रीनिवास वेंकटराघवन से बहुत डरते थे।
कपिल ने खुलासा किया कि वे जब भी वेंकटराघवन के आसपास होते थे उनसे छिपने के लिए जगह ढूंढते थे। उन्होंने कहा, "इंग्लैंड में, एक टेस्ट मैच के दौरान शाम के ब्रेक को चाय ब्रेक कहा जाता है. वेंकटराघवन हमेशा तर्क देते थे और कहते थे कि केवल चाय ही क्यों? यह चाय और कॉफी का ब्रेक होना चाहिए। "मैं उनसे बहुत डरता था. पहले वह केवल अंग्रेजी में बात करते थे और दूसरी बात यह कि हम सभी उनके गुस्से को जानते थे। जब वह अंपायर थे, तब भी वह एक तरह से आउट नहीं देते थे, जैसे कि वह गेंदबाज को डांट रहे हों। जब मैं '79 में इंग्लैंड गया, तो वह कप्तान थे, मैं एक ऐसी जगह खोजता था, जहां वह मुझे ढूंढ न पाएं।"
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उन्होंने आगे कहा, "हमारे पास बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर थे, इसलिए वह वास्तव में उनसे ज्यादा नहीं कह सकते थे और स्वाभाविक रूप से जब भी वह मुझे देखते थे वह आग बबूला हो जाते थे। मैं एक कोने में बैठकर नाश्ता करता था क्योंकि मैं एक भारी खाने वाले था और वह ऐसा कहते थे कि ये हमेशा खाता ही रहता है। कपिल देव, देश के उन बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक, जिन्होंने अपने करियर के दौरान सुनील गावस्कर सहित कई कप्तानों के साथ खेला है। 60 और '70 के दशक में भारत के लिए खेलने वाले प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के सदस्य वेंकटराघवन ने 1983 में संन्यास लेने से पहले 57 मैच खेले और 156 विकेट लिए।