नेट्स में गावस्कर की बैटिंग देख किरन मोरे हैरान-
हालांकि मोरे का मानना है कि गावस्कर की मैच और नेट्स में बल्लेबाजी में साफ अंतर था और यह अंतर इतना ज्यादा था कि वे हैरान थे कैसे गावस्कर जैसा बल्लेबाज ऐसा कर सकता है। मोरे ने भारत के लिए लगभग चार वर्षों तक गावस्कर के साथ खेला।
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तब मोरे यह सोचते थे कि जो बल्लेबाज नेट्स में इतना संघर्ष कर रहा है वह कैसे विपक्षी गेंदबाजों पर हावी हो पाएगा।
'नेट्स में खेला नहीं जाता, टेस्ट में क्या बैटिंग करेंगे'?
"वह सबसे खराब खिलाड़ियों में से एक था जिसे मैंने कभी नेट्स में देखा था," मोरे ने यह बात ग्रेटेस्ट राइवलरी पॉडकास्ट पर कहा, "वह नेट में अभ्यास करना पसंद नहीं करते थे। जब आप उसे नेट्स में अभ्यास करते हुए देखते हैं और फिर टेस्ट मैच में बल्लेबाजी करते हुए देखते हैं तो यह 99.9 प्रतिशत भिन्न होता है। जब आप उसे नेट्स में बल्लेबाजी करते हुए देखते हैं तो बस यही सवाल कौंधता है कि यह बल्लेबाज कल कैसे रन बनाएगा? और फिर जब आप उसे अगले दिन सुबह देखते हैं तो मुंह से 'वाह' निकल जाता था।"
दरअसल इस चीज के पीछे भी एक रहस्य छुपा है-
गावस्कर के रन बनाने का कारण उनकी जबरदस्त एकाग्रता थी जिस कारण उन्होंने सैकड़ों रन बनाए। गावस्कर नेट में इतनी एकाग्रता लगाना नहीं चाहते थे। मैचों के दौरान गावस्कर ने दुनिया के सबसे डरावने गेंदबाजी आक्रमणों के खिलाफ बल्लेबाजी की, जिसमें प्रसिद्ध विंडीज की तेज गेंदबाजी चौकड़ी और ऑस्ट्रेलिया की जेफ थॉमसन और डेनिस लिली की तेज गेंदबाजी जोड़ी शामिल है और बिना हेलमेट पहने अपने करियर के अधिकांश भाग में खेलते रहे।
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मोरे ने कहा- भगवान ने दिया गावस्कर को एकाग्रता का गिफ्ट
मोरे इस खूबी के बारे में बात करते हुए कहते हैं, "सुनील गावस्कर को दिया गया सबसे अच्छा ईश्वर का उपहार उनकी एकाग्रता है। उनके पास एकाग्रता का स्तर अविश्वसनीय था। एक बार जब वह अपने क्षेत्र में पहुंच जाते, तो कोई भी उनके करीब नहीं पहुंच सकता है। "
गावस्कर के साथ खेले गए घरेलू मैचों में से एक को याद करते हुए, मुंबई के पूर्व भारतीय विकेटकीपर ने बताया कि कैसे बल्लेबाज एक बार 50 से कम के स्कोर पर आउट हो गया कैसे ड्रेसिंग रूम में हड़कंप मच गया।
'जब गावस्कर से बचने के लिए साथी ड्रेसिंग रूम खाली कर देते थे'
"सुनील बहुत अनुशासित थे। मुझे याद है कि जब मैं भारतीय टीम में आया था, तो हमने वेस्ट जोन के लिए एक साथ कई घरेलू क्रिकेट खेले थे। मुझे याद है कि वानखेड़े में एक टेस्ट मैच में सुनील लगभग 40 या 30 रन पर आउट हो गए थे। और जब वह वापस आए, तो ड्रेसिंग रूम में कोई नहीं था। हर कोई इधर-उधर भाग रहा था, हर कोने में वे छिपने की कोशिश कर रहे थे।
"गावस्कर ड्रेसिंग रूम के अंदर आए और उन्होंने अपने दस्ताने फेंक दिए, वह इसलिए परेशान थे क्योंकि 30 या 40 रन बनाकर आउट होना उनको कभी पसंद नहीं था। अगर वह जीरो या पांच रन या 10 रन पर आउट हो जाते हैं, तो वह ठीक हैं, लेकिन अगर वह एक घंटे तक वहां बल्लेबाजी करता है और आउट हो जाते हैं, तो वह उससे नफरत करता था।"