नहीं करता था कोई शिकायत
किरण मोरे ने ग्रेटेस्ट राइवलरी पॉडकास्ट में बात करते हुए कहा, ''उन दिनों गेंद से छेड़छाड़ करना आम बात थी। वो इसलिए ताकि गेंदबाज रिवर्स स्विंग हासिल कर सकें। तब दोनों टीमों में से कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता था। हर गेंदबाज गेंद से छेड़छाड़ करता था और बल्लेबाजों के लिए खेलना आसान नहीं होता था।'' उन्होंने आगे खुलासा किया कि मनोज प्रभाकर ने भी बाॅल टेंपरिंग यहां से सीखी।
सजा का प्रावधान भी नहीं था
उन्होंने कहा, ''मनोज प्रभाकर ने भी उसी समय के दाैरान गेंद से छेड़छाड़ करना सीखा। उस सीरीज के एक अंपायर जॉन होल्डर ने एक इंटरव्यू में दोनों टीमों के उस समय के कप्तान इमरान खान और क्रिस श्रीकांत से इस मामले पर बात की थी, लेकिन कोई मामला नहीं निकला। तब इसके लिए बहुत ज्यादा सजा का प्रावधान नहीं था।''
तब क्या कहना था अंपायर का
बता दें कि जॉन होल्डर पूर्व ब्रिटिश क्रिकेटर थे और 1989 में पहले टेस्ट में अंपायरिंग कर रहे थे। मोरे ने बताया, ''जब कोई बल्लेबाज आउट हो जाता था तो अंपायर गेंद को अपने पास नहीं रखते थे। तो इसका फायदा उठाकर खिलाड़ी गेंद को स्क्रेच करते थे।'' बता दें कि 2018 में होल्डर ने एक मिड डे अखबार से कहा था, ''उस समय यह लीगल था। इसे रोकने के लिए हम कुछ भी नहीं कर सकते। हम पावरलेस थे क्योंकि ऐसा कोई कानून नहीं था, जिसे हम लागू कर सके। लेकिन इसके बाद कुछ कानून बने और बॉल टेंपरिंग पर पेनल्टी रन दिए जाने लगे। उन्होंने बचे हुए मैच में गेंदबाजों को प्रतिबंधित भी करना शुरू कर दिया।''