अपने चरित्र पर ही शक करने लगे राहुल-
इस बारे में बात करते हुए राहुल ने इंडिया टुडे से कहा, ‘यह बेहद मुश्किल दौर था क्योंकि मुझे इसकी आदत नहीं थी कि लोग मुझे नापसंद करें। पहले एक सप्ताह या दस दिन मैं कुछ नहीं कर सकता था सिवाय खुद पर और अपने चरित्र पर संदेह करने के अलावा। सबसे बुरी बात यह लग रही थी कि क्या आप वास्तव में बुरे इंसान हैं जबकि आपके बारे में इतना कुछ लिखा गया था।' राहुल ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच से स्वदेश भेजे जाने पर बात करते हुए यह बात कही।
लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था-
उसके बाद राहुल ने लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। राहुल ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम से जुड़े रहने के बाद लगातार व्यस्त कार्यक्रम और दौरों के कारण आप कई बार भटक जाते हैं आपको परिवार की अहमियत का भी पता नहीं चलता और नए दोस्त बनाने का तो आपके पास समय ही नहीं होता। ऐसे में जब कुछ समझ नहीं आता तब टीम के सदस्यों और सपोर्ट स्टाफ ने उनका काफी साथ दिया जिसके लिए राहुल काफी शुक्रगुजार हैं।
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खिलाड़ी अक्सर भूल जाता है परिवार का महत्व-
इस दौरान टीम के एक सीनियर खिलाड़ी ने राहुल को मीडियो से दूर रहने की सलाह दी थी। कई लोगों ने उनको दिलासा भी दिया कि गलती सबसे हो जाती है लेकिन ऐसे भी लोग थे जिन्होंने बहुत कुछ कहा और लिखा। राहुल के अनुसार बाद में आप खुद पर संदेह करना शुरू कर देते हों लेकिन ऐसे समय में परिवार और करीबी साथियों ने उनका साथ दिया। बता दें राहुल फिलहाल आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से खेल रहे हैं।