बेटे के खातिर पिता ने छोड़ी नौकरी
उन्होंने डीडीसीए के लिए खेले गए पांच मैचों में 75.50 की शानदार औसत से 302 रन बनाए। नई दिल्ली के जनकपुरी के रहने वाले यश के पास दिल्ली की अंडर-16, अंडर-19 और भारत की अंडर-19 टीम की कप्तानी करने का अनुभव है। दाएं हाथ के मध्यक्रम के बल्लेबाज ढुल ने 11 साल की उम्र में बाल भवन स्कूल की अकादमी में प्रवेश किया और यहीं से अपने खेल को विकसित किया। यश के पिता एक कॉस्मेटिक ब्रांड के साथ एक कार्यकारी के रूप में काम करते थे, लेकिन अपने बच्चे के करियर को आकार देने के लिए उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।
पेंशन से घर चलता था
यश के पिता विजय ढुल ने टाइम्स नाउ से बात करते हुए कहा, "मैं हमेशा यह चाहता था कि उसे कम उम्र से ही खेलने के लिए सबसे अच्छी किट और शुरूआत मिले। मैंने उसे बेहतरीन इंग्लिश बैट बैट दिए। उनके पास सिर्फ एक बल्ला नहीं था, मैं उसे नए-नए बल्ले खरीदकर देता रहता था। हमने अपने खर्चों में कटौती की थी। मेरे पिता एक आर्मी मैन थे। उन्हें जो पेंशन मिलती थी उसका इस्तेमाल घर चलाने में होता था। यश को हमेशा आश्चर्य होता था कि हम कैसे इतना खर्च कर पा रहे हैं। मैं यश को पूरा समय देना चाहता था, ताकि वह इधर-उधर भटकने के बजाए क्रिकेट पर ही फोकस करे। इसी वजह से मैंने नौकरी छोड़ दी।"
यश नहीं करते किसी की नकल
हाल ही में एक इंटरव्यू में क्रिकेट के क्षेत्र में उनके रोल मॉडल के बारे में पूछे जाने पर, ढुल ने एक विशेष नाम लेने से परहेज किया। यश ने कहा, "कोई भी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलता है, उससे सीखने के लिए काफी अच्छा माैका रहता है। मैं हर किसी के खेल का बारीकी से आंकलन करता हूं। मैं किसी की नकल नहीं करता, लेकिन हर कोई मेरा हीरो है।" यश के क्रिकेट सफर की शुरुआत घर की छत से हुई। उसके पिता उसे घर की छत पर ही प्रैक्टिस करवाते थे, जब यश छोटे थे।
अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम-
यश ढुल (कप्तान), हरनूर सिंह, अंगक्रिश रघुवंशी, एसके रशीद (उपकप्तान), निशांत सिंधु, सिद्धार्थ यादव, अनीश्वर गौतम, दिनेश बाना, आराध्य यादव (विकेटकीपर), राज अंगद बाव, मानव पारखी, कौशल तांबे, आरएस हैंगरगेकर, वासु वत्सो, विक्की ओस्तवाल, रवि कुमार और गर्व सांगवान