नई दिल्ली। भारतीय टीम ने सिडनी टेस्ट के लिए जब कुलदीप यादव का चयन किया था तो इस पर कुछ सवाल ये कहकर उठे थे कि कुलदीप खुद एक दो बार कह चुके हैं कि वे अभी लाल गेंद वाली क्रिकेट के लिए तैयार ही हो रहे हैं। हालांकि भारत ने अश्विन के चोटिल होने के बाद कुलदीप को टीम में शामिल किया और कुलदीप ने सिडनी टेस्ट में बढ़िया गेंदबाजी करते हुए पहली पारी में कंगारूओं के दो विकेट चटका दिए। जबकि अभी ऑस्ट्रेलियाई टीम की पारी समाप्त नहीं हुई है और उसके 6 ही विकेट आउट हुए हैं। यानी की कुलदीप के पास मैच में और विकेट अपनी झोली में डालने का पूरा मौका है।
इसके बावजूद कुलदीप ने एक बार से उस बात को दोहराया है जिसके चलते खेल पंडितों ने उनके चयन पर सवाल उठाए थे। कुलदीप ने दोबारा ने कहा है कि उनको टेस्ट मैच में बेहतर करने के लिए और समय चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सफलता के लिए टेस्ट क्रिकेट में सफल होना अहम है। 24 साल के बाए हाथ के इस चाइनामैन गेंदबाज ने इसके साथ ही यह भी कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया में अपनी पहली टेस्ट सीरीज खेलने के दौरान नर्वस भी थे।
कुलदीप ने कहा, 'मैं अब तक काफी क्रिकेट खेल चुका हूं लेकिन टेस्ट में मुझे थोड़ा और सीखने की जरूरत होगी। आप जितना लाल गेंद से खेलते हो उतना ही ज्यादा अपने प्रदर्शन में सुधान कर सकते हो।' कुलदीप ने यह बात टेस्ट क्रिकेट के संदर्भ में कही। कुलदीप का मानना है कि जब आप सफेद गेंद के खेल के बाद लाल गेंद से गेंदबाजी करने उतरते हो तब आप पर ज्यादा दबाव होता है। आपको टेस्ट क्रिकेट के हिसाब से खुद को ढालने के लिए कम से कम 10 दिन तो चाहिए ही चाहिए। टेस्ट क्रिकेट एकदिनी खेल से पूरी तरह अलग है।
आजकल क्रिकेट में तरह-तरह की गेंद फेंकने के बारे में क्रेज है लेकिन कुलदीप इस रेस से खुद को दूर मानते हैं। कुलदीप का मानना है कि बल्लेबाज को छकाने का सबसे बेस्ट तरीका गेंद को हवा में स्पिन दिलाना है। इसके साथ ही एक स्पिनर को बल्लेबाज को पढ़ने की कला भी आनी चाहिए। कुलदीप ने कोहली और ऋषभ पंत के योगदान की भी सराहना की जिन्होंने उनको सही एरिया में गेंद फेंकने के लिए लगातार प्रेरित किया।