नई दिल्ली। पिछले छह महीनों की बात करें तो कुलदीप यादव ने सिर्फ एक टेस्ट मैच और दो वनडे मुकाबले खेले हैं। यही नहीं बीसीसीआई के वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट में भी कुलदीप यादव को नीचे कर दिया। कुलदीप यादव की मुश्किल यही नहीं खत्म हुई आईपीएल के इस सीजन में केकेआर की प्लेइंग 11 में भी कुलदीप यादव को जगह नहीं मिली। कुलदीप यादव के लिए पिछले छह महीने काफी मुश्किलभरे रहे हैं। उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए भी नहीं चुना गया। कुछ एक्सपर्ट की सलाह है कि कुलदीप यादव को और तेज गेंद डालनी चाहिए जबकि कुछ चाहते हैं कि वह इसका उल्टा करें। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कुलदीप यादव ने अपने मुश्किल समय के बारे में खुलकर बात की है।
मुश्किल रहा 12 महीनों का सफर
पिछले 12 महीनों के अपने अनुभव के बारे में कुलदीप यादव ने कहा कि यह समय अच्छा नहीं था, मैंने उतने मैच नहीं खेले जितने की मुझे उम्मीद थी, मेरा आत्मविश्वास भी काफी कम हो गया था। जब आप लगातार खेलते रहते हैं तो आपका आत्मविश्वास अच्छा रहता है। जितना आप टीम से बाहर रहते हैं तो उतनी ही चीजें मुश्किल होती जाती हैं। जब मैंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेला तो मैं बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा था। कुलदीप यादव ने आखिरी टेस्ट मैच जनवरी 2019 में खेला था, जिसके बाद कोरोना के चलते लंबे समय तक मैच नहीं खेले गए थे। जिसकी वजह से मेरे लिए पिछले एक साल काफी मुश्किलभरे हो गए, यह समय अच्छा नहीं था।
मुझे लगता था कि पहले वाला कुलदीप नहीं रहा
कुलदीप यादव ने कहा कि मैं कभी-कभी सोचता था कि ये क्या हो रहा है। यह मुश्किल समय था, कभी मेरा दिमाग कहता था अब शायद वो कुलदीप नहीं रहे। कभी मुझे ऐसा लगता कि नहीं मैं अभी भी पहले वाला कुलदीप हूं और मुझे मौके का इंतजार है। एक समय ऐसा भी था जब लगता था कि ड्रिंक्स देना और बेंच पर बैठना अच्छा था, लगता था कि ये अपने लिए बेस्ट है, लेकिन फिर ऐसा समय आता है जब आप इस स्थिति में नहीं रहना चाहते हैं। मुझे लगने लगा कि मुझे वहां खेलना चाहिए था, मैंने हर समय खुद को प्रेरित करने की कोशिश की। मैं खुश रहने की कोशिश कर रहा था और महसूस कर रहा था कि मैं अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं। मेरे अंदर खुद को लेकर संदेह था, यह हर किसी के साथ होता है, जिसके बाद मैंने खुद से सवाल करने लगा।
मैं लोगों की बातों को सोचने लगा था
अपने मुश्किल समय के बारे में कुलदीप यादव ने कहा कि मैंने इस बात पर सोचना शुरू कर दिया था कि लोग मेरे बारे में क्या कह रहे हैं। मैंने खुद को भरोसा दिलाने की बजाए लोगों की बातें सुननी शुरू कर दी। मैंने अपने कोच कपिल पांडे से बात की, टीम के कोच भरत अरुण से बात की। एक बात उन लोगों ने हमेशा कही आप बस मेहनत करते रहिए सब ठीक हो जाएगा। भरत अरुण ने मुझसे कहा कि मेरी गेंदबाजी में छोटी दिक्कतें हैं, हमने एंगल और पिच के इस्तेमाल के बारे में बात की। मैंने रवि शास्त्री और विराट कोहली से बात की। उन्होंने भी मुझसे कहा कि मैं बहुत ज्यादा ना सोचूं। अरुण सर ने कहा कि फिलहाल टीम को अलग मिश्रण की जरूरत है।
मैं राशिद खान नहीं बन सकता
कुलदीप ने कहा कि मैं राशिद खान की तरह तेज गेंद को नहीं घुमा सकता हूं। मैने इंग्लैंड के खिलाफ मैच में यह करने की कोशिश की ताकि बल्लेबाज को गेंद तक पहुंचने का समय नहीं मिले। लेकिन मुझे समझ आया ये मेरी ताकत नहीं है, मेरी क्षमता है कि मैं गेंद को हवा में डालूं और बल्लेबाज को चकमा दूं और गेंद को घुमाऊं, मुझे यही करना है, मैं धीमी गेद डालने की वजह से ही सफल हुआ। कभी-कभी तेज गेंद का इस्तेमाल विविधता के लिए किया जा सकता है लेकिन लंबे समय के लिए यह कारगर नहीं है, ये मुझे वहां नहीं पहुंचाएगा जहां मैं जाना चाहता हूं।
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डिप्रेशेन में थे कुलदीप
आईपीएल में जब केकेआर की प्लेइंग इलेवन में कुलदीप को जगह नहीं मिली तो कुलदीप के लिए यह समय बहुत मुश्किल था। कुलदीप ने कहा कि मैं बहुत ज्यादा अवसाद में चला गया जब मुझे प्लेइंग 11 में जगह नहीं मिली। मुझे लगा कि क्या मैं इतना खराब हूं। यह टीम के मैनेजमेंट का फैसला था, मैं उनसे पूछ नहीं सकता था। मैं चेन्नई में भी नहीं खेल रहा था जबकि वहां की पिच टर्न करती है। मैं चकित था लेकिन कुछ कर नहीं सका। इसके साथ ही बायो बबल में जिंदगी और चुनौतीपूर्ण थी।
माही भाई की याद आती है
कुलदीप ने कहा कि मुझे कभी-कभी धोनी को याद आती है, उनका मार्गदर्शन जबरदस्त अनुभव है। वह विकेट के पीछे से बताते थे, चिल्लाते थे। हमे उनके अनुभव की याद आती है। ऋषभ अब हैं, वो जितना खेलेगा, उतना ही भविष्य में मददगार साबित होगा। जब धोनी थे तो मैं और चहल गेंदबाजी करते थे, जबसे माही भाई गए, चहल और मैं साथ नहीं खेल रहे हैं। माही भाई के जाने के बाद मैंने सिर्फ कुछ ही मैच खेले हैं। आगे की रणनीति के बारे में कुलदीप ने कहा कि मैं गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी पर भी काम कर रहा हूं, लेकिन लय हासिल करने के लिए मुझे मैच खेलने की जरूरत है। मैं जितना अधिक खेलूंगा उतना अच्छा फिर से करूंगा।