नई दिल्ली। क्रिकेट में आधुनिक तकनीक तकनीक के विकास ने केवल बल्लेबाजों और गेंदबाजों के खेल में नाटकीय परिवर्तन किया है बल्कि अंपायरिंग को भी पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। खासकर डीआरएस (DRS) यानी अंपायर के फैसले पर रिव्यू सिस्टम आने से मैदानी अंपायरिंग की साख पहले से कहीं अधिक दांव पर लग गई है। सीमित ओवरों के प्रारूप में आजकल बहुत तेजी के साथ इतनी ज्यादा चीजें घटित होने लगी हैं कि अंपायरिंग करना पहले जैसा नहीं रह गया है। इसी बीच विश्व कप जैसे सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में अंपायरिंग के चौंकाने वाले आंकड़े निकलकर सामने आए हैं।
यह आंकड़े बता रहे हैं कि इस प्रतियोगिता में भी अंपायरों ने लगातार गलतियां की है और कुमार धर्मसेना तो जैसे भंयकर किस्म की गलतियों को लगातार अंजाम दे रहे हैं। श्रीलंका के पूर्व ऑफ स्पिनर धर्मसेना विश्व कप के नामी अंपायरों में शुमार हैं। वे विश्व कप के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में तब आ गए जब उन्होंने दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान इंग्लैंड के बल्लेबाज जेसन रॉय को विकेट के पीछे आउट करार दे दिया। आउट करार दिए जाने के तुरंत बाद ही रॉय को अंपायर का यह फैसला बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था और उन्होंने क्रीज पर ही अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। जिसके फलस्वरूप उनको बाद में जुर्माना भी भुगतना पड़ा।
विलियमसन ने तोड़ा जयवर्धने का 12 साल पुराना रिकॉर्ड, ऐसा करने वाले पहले कप्तान बने
अब धर्मसेना ने विश्व कप के फाइनल मैच में भी गलती कर दी है। उन्होंने कीवी कप्तान विलियमसन को विकेट के पीछे कैच आउट करार देने से उस समय मना कर दिया जब इंग्लिश गेंदबाज प्लंकेट की गेंद विलियमसन के बल्ले का साफ किनारा लेकर विकेटकीपर बटलर के दस्तानों में समां गई। इंग्लैड ने इस फैसले के खिलाफ रिव्यू लिया जहां धर्मसेना को अपना फैसला पलटना पड़ा। इसी के साथ धर्मसेना के नाम इस विश्व कप में ऐसे 4 फैसले हो गए हैं जो रिव्यू लेने के बाद बदलने पड़े हैं। इस मामले में इंग्लैंड के अंपायर आर केटलबोरो का रिकॉर्ड सबसे खराब है। उनके पांच फैसले इस विश्व कप में ऐसे रहे जो उनको रिव्यू के बाद पलटने पड़े।
उसके बाद धर्मसेना के अलावा सी. गफ्नेय, पी विल्सन और आर. पल्लियागर्ग का नाम आता है। इन सभी के 4-4 फैसले रिव्यू के बाद बदलने पड़े।