ऐसा रहा लू विंसेंट का शुरुआती करियर
न्यूजीलैंड के वार्कवर्थ में जन्मे लू विंसेंट मशहूर खेल पत्रकार माइक विंसेंट के बेट थे, जिनका खेलों के प्रति रुझान अपने पिता की वजह से ही गया। 15 साल की उम्र में विंसेंट एडिलेड चले गये जहां पर उन्होंने क्रिकेट खेला लेकिन सही मौका नहीं मिलने के चलते 18 की उम्र में वापस न्यूजीलैंड आ गये। न्यूजीलैंड लौटते ही उन्हें अंडर19 टीम में खेलने का मौका मिला जिसके बाद वह ऑकलैंड की टीम में भी सेलेक्ट हो गये।
अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर विंसेंट ने 2001 में न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय टीम में जगह बना ली। अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर के दौरान विंसेंट ने 6 शतक लगाये। इतना ही नहीं साल 2005 में उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 172 रनों की पारी खेली जिसमें से 118 रन बाउंड्रीज के जरिये आये।
विंसेंट ने कर दी बड़ी गलती, लग गया बैन
विंसेंट ने न्यूजीलैंड के लिये कई अहम पारियां खेलकर टीम को जीत दिलाने का काम किया। विंसेंट ने अपने करियर में कीवी टीम के अलावा इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में भी हिस्सा लिया और लैंकशर, नॉर्थैम्पटनशर, ससेक्स और वूस्टरशर जैसी काउंटी टीमों के लिये टूर्नामेंट खेला। इस दौरान उनका जीवन काफी अच्छा बीत रहा था लेकिन तभी लू विंसेंट ने एक बड़ी गलती कर दी और उनकी पूरी जिंदगी बदल गई।
लू ने साल 2008 में काउंटी क्रिकेट में फिक्सिंग की और सिर्फ एक बार नहीं बल्कि आने वाले सीजन में भी करते चले गये। इतना ही नहीं विंसेंट ने साल 2011,2012 में इंडियन क्रिकेट लीग में भी फिक्सिंग की और 2014 में जब पकड़े गये तो आरोपों को कबूल कर लिया। इस गलती के चलते लू पर लाइफटाइम बैन लगा दिया और वो इंग्लैंड से वापस न्यूजीलैंड आ गये।
मजदूरी करके चला रहे परिवार
लू विंसेंट पर लगे बैन के अनुसार वो न तो क्रिकेट खेल सकते हैं और न ही इससे जुड़े किसी भी तरह के व्यव्साय से पैसे कमा सकते हैं। उनके कोचिंग करने और स्टेडियम में घुसने तक पर बैन लगा हुआ है। ऐसे में विंसेंट के पास जीवन चलाने के लिये कोई और विकल्प नहीं बचा। न्यूजीलैंड हेराल्ड की खबर के मुताबिक वो एक बिल्डिंग कंपनी के लिए मजदूरी करने लगे जहां पर वो बिल्डिंग में रिपेयरिंग का काम करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वो प्लैटिनम होम्स कंपनी के साथ जुड़े हुए थे जहां पर उन्हें घंटे के हिसाब से पैसे मिलते हैं।