भावनाओं को काबू में रखता हूं
38 साल के धोनी ने कहा, 'मैं भी आम इंसान हूं लेकिन मैं किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से काबू में रखता हूं।' धोनी ने विपरीत परिस्थितियों से पार पाने के संबंध में कहा, 'हर किसी की तरह मुझे भी निराशा होती है। कई बार मुझे भी गुस्सा आता है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से कोई भी भावना रचनात्मक नहीं है।' भारत को इंग्लैंड में हुए आईसीसी विश्व कप सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद धोनी टीम से बाहर हैं। उनके संन्यास की अकटलें भी लगातार लगाई जा रही हैं, लेकिन धोनी ने अबतक इसपर अंतिम फैसला नहीं लिया है।
ऐसे करते हैं काबू
इस 38 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि समस्याओं का जाल बुनने के बजाय उनका समाधान ढूंढना उनके लिए कारगर साबित रहा है। उन्होंने कहा, 'इन भावनाओं की तुलना में अभी क्या करना चाहिए यह अधिक महत्वपूर्ण है। अगली क्या चीज है जिसकी मैं योजना बना सकता हूं? वह अगला व्यक्ति कौन है जिसका मैं उपयोग कर सकता हूं? एक बार जब मैं यह सोचने लगता हूं तो फिर मैं अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से काबू कर लेता हूं।'
अंतिम परिणाम से महत्वपूर्ण प्रक्रिया है
धोनी ने फिर से कहा कि अंतिम परिणाम से महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अपनी कप्तानी के दौरान वह हमेशा इस बात पर जोर देते रहे थे। उन्होंने कहा, 'अगर वह टेस्ट मैच है तो आपके पास दो पारियां होती है और आपको अपनी अगली रणनीति तैयार करने के लिए थोड़ा अधिक समय मिलता है। टी20 में सब कुछ तुरत फुरत होता है तो इसमें अलग तरह की सोच की जरूरत होती है।' उन्होंने आगे कहा कि वह एक खिलाड़ी हो सकता है जिसने गलती की या वह पूरी टीम हो सकती है। यह भी हो सकता है कि प्रारूप चाहे कोई भी हो हमने अपनी रणनीति पर अच्छी तरह से अमल नहीं किया हो।