धोनी का बाहर होने की 'बड़ी' वजह
तीसरे मैच में भारतीय टीम ने दो बदलाव किए हैं। पहले बदलाव के तौर पर विजय शंकर के स्थान पर ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की टीम में वापसी हुई है। हार्दिक चोट लगने के बाद वापसी करते हुए पहला मैच खेल रहे है जबकि विवादित बयान के चलते निलंबन झेलने के बाद भी यह उनका पहला मैच है। भारतीय टीम का दूसरा बदलाव है महेंद्र सिंह धोनी के स्थान पर दिनेश कार्तिक को लेना। बेहतरीन फार्म में चल रहे धोनी का बाहर होना सभी को अखरा लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह है।
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विश्व कप में भारत के लिए 'खतरे की घंटी'
दरअसल धोनी को हैमस्ट्रिंग में खिंचाव के कारण टीम से बाहर बैठना पड़ा है। यह जांघों के पीछे की एक शक्तिशाली मांसपेशी होती है जो किसी भी खिलाड़ी की फिटनेस में बेहद अहम भूमिका निभाती है। धोनी को इसी मसल्स में समस्या है। विश्व कप में भारत के लिए बेहद अहम धोनी का चोटिल होना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। वैसे तो खेल और चोट एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं लेकिन यहां धोनी का मामला थोड़ा अलग है। जी हां, धोनी की यह पुरानी समस्या है जो बीच-बीच में उभरकर इस बल्लेबाज को तंग करती है।
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धोनी की इस चोट ने जब-जब बिगाड़ा खेल-
आपको बता दें कि धोनी इससे पहले 2013 में इसी हैमस्ट्रिंग मसल्स में समस्या के चलते तीन वनडे मैच मिस कर चुके हैं। यह चोट धोनी को तब भी लगी थी जब वह 2013 में वेस्टइंडीज में हुई त्रिकोणीय सीरीज में भाग ले रहे थे। तभी धोनी की यह चोट उभरी और उनको 3 मैचों से हाथ धोना पड़ा। इससे पहले 2007 में धोनी को 2 मैचों से बाहर बैठना पड़ा था लेकिन तब की परिस्थितियां कुछ और थी। तब धोनी वायरल बुखार के चलते बाहर हुए थे। लेकिन अब जो धोनी को ये समस्या उभरी है वह भारत के लिए चिंताजनक है। क्योंकि विश्वकप सर पर है और धोनी अब उम्र की ढलान पर हैं। ऐसे में उनके सामने इस समस्या से उभरना पहले जितना आसान नहीं होगा। हालांकि आज प्रोफेशनल खिलाड़ियों के पास सभी तरह की रिहेबिलिटेशन सुविधाएं होती हैं। ऐसे में हम तो यही उम्मीद करते हैं कि धोनी की यह चोट नासूर बनकर भारत के विश्वकप अभियान पर खतरा पैदा नहीं करेगी और माही कीवीलैंड में भी अपने बाकी के मैच पूरी तरह से फिट होकर खेलेंगे।