मनोज प्रभाकर को 14 साल बाद मिला पेंशन का पैसा
मनोज प्रभाकर पर लगा यह बैन साल 2005 में खत्म हुआ था जिसके करीब 14 साल बाद बीसीसीआई ने अब जाकर प्रभाकर के लंबित बकाये पैसे को जारी किया। इनमें पेंशन, बेनवोलेंट फंड (परोपकारी निधि) और एकमुश्त लाभ राशि शामिल है। बीसीसीआई की ओर से मनोज प्रभाकर को कुल 1 करोड़ रुपए की राशि दी गई है। वहीं इससे पहले पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को भी 1.5 करोड़ की बकाया रकम बोर्ड ने जारी की थी।
खिलाड़ियों को 4 महीने देरी से मिला पैसा
गौरतलब है कि हाल ही में कुछ खबरें सामने आई थी कि घरेलू खिलाड़ियों को अब तक प्राइज मनी नहीं मिली है और लॉकडाउन के चलते वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन इनामों की घोषणा 4 महीने पहले की थी, हालांकि बीसीसीआई ने इस बकाया इनामी राशि को भी जारी कर दिया है।
शैफाली वर्मा समेत 10 प्लेयर्स को मिला इतना पैसा
बीसीसीआई की ओर से जारी की इस राशि में सिक्किम के मिलिंद कुमार (रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन) और बिहार के कप्तान आशुतोष अमन (रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट) को 2.5 लाख रुपये का इनाम जारी किया गया। वहीं महिला क्रिकेट की युवा खिलाड़ी शेफाली वर्मा को जूनियर क्रिकेट में बेस्ट वूमन प्लेयर और दीप्ति शर्मा को सीनियर घरेलू टूर्नामेंट में बेस्ट प्लेयर के लिये बीसीसीआई ने 1.5 लाख रुपए का इनाम जारी किया है।
इन प्लेयर्स के अलावा बीसीसीआई ने पुडुचेरी के सिदाक सिंह (अंडर-23 सीके नायडू ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट), झारखंड के आर्यन हुडा (अंडर-16 विजय मर्जेंट टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन), झारखंड के ही अभिषेक यादव (विजय मर्चेंट टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट), गुजरात के मनन हिनराजिया (अंडर-23 सीके नायडू ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन), गुजरात के ही अपूर्व आनंद (अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट) और केरल के वत्सल गोविंद (अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन) को भी 1.5 लाख रुपये का इनाम जारी किया।
आर्थिक तंगी से जूझ रहा घरेलू क्रिकेटर्स का परिवार
आपको बता दें कि मौजूदा समय में चल रही महामारी के चलते जो स्थिति बनी है उसमें जूनियर क्रिकेटरों के परिवार पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। में पुडुचेरी के गेंदबाज सिदाक के पिता के पास कपड़े की दुकान थी जो कि लॉकडाउन के चलते खुल नहीं रही वहीं बोकारो में अभिषेक यादव के पिता रेलवे में क्लास डी के कर्मचारी हैं। अभिषेक दादी के इलाज के लिए पैसा चाहते थे। उनके पिता को कर्ज लेना पड़ा था।