नहीं पूछ पाए कि क्यों निकले बाहर
तिवारी ने टीम इंडिया के लिए शतक बनाने के बावजूद टीम से बाहर किए जाने का दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने खुद को टीम से बाहर किए जाने के संबंध में महेंद्र सिंह धोनी से कभी सवाल नहीं किया। तिवारी ने कहा ''मुझे उस समय मौका नहीं मिला या यूं कहें कि मुझमें माही के पास जाने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि हम अपने सीनियरों का इतना सम्मान करते थे कि हम उनसे सवाल करने से बचते थे। इसलिए मैंने अभी तक उनसे सवाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब वह राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स में धोनी के साथ खेल रहे थे, तब उन्होंने कप्तान से यह सवाल पूछने के बारे में सोचा था, लेकिन वह आईपीएल के दबाव को देखकर रुक गए। उन्होंने कहा, मैंने सोचा था कि बाद में कभी पूछूंगा।''
लेकिन करते हैं फैसले का सम्मान
तिवारी ने कहा, ''मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने देश के लिए 100 रन बनाने और मैन ऑफ द मैच लेने के बाद मैं अगले 14 मैचों तक अंतिम ग्यारह में नहीं आऊंगा। लेकिन मैं इस बात का भी सम्मान करता हूं कि कप्तान, कोच और टीम प्रबंधन के भी अपने विचार होते हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर हमें उनके फैसलों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि उनकी अलग रणनीति हो।''
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ऐसा है तिवारी का करियर
मनोज तिवारी ने 12 वनडे और 3 टी20 मुकाबले खेले हैं। इसमें उन्होंने वनडे में 287 और टी20 में 15 रन बनाए हैं। वनडे में उन्होंने 5 विकेट भी लिए हैं। 2012 में उन्होंने गेंद के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 61 रन देकर 4 विकेट लिए थे। हालांकि उन्हें कभी भी ज्यादा मौके नहीं मिले। घरेलू क्रिकेट में बंगाल की कप्तानी कर चुके मनोज तिवारी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 8000 से ज्यादा और लिस्ट ए क्रिकेट में 5000 से ज्यादा रन बनाए हैं। वो टीम के महत्वपूर्ण बल्लेबाजों में से एक हैं। 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ मनोज तिवारी भारत के लिए आखिरी बार खेले थे।