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वो भारतीय जो 2 मैचों में था 12वां खिलाड़ी, डेब्यू करते ही लगाये थे लगातार 3 शतक

नई दिल्ली। क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपनी तकनीक के दम पर विश्व क्रिकेट में खासा नाम कमाया। हालांकि अपने देश के लिये खेलने से पहले उन्हें काफी मेहनत और इंतजार भी करना पड़ा। भारतीय क्रिकेट इतिहास में भी ऐसे ही एक खिलाड़ी हुए हैं जिन्हें 'कलाई के जादूगर' भी कहा जाता है। पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन उन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने अपने डेब्यू से पहले मैदान पर सिर्फ पानी पिलाने का काम किया लेकिन जब डेब्यू किया तो दुनिया भर के गेंदबाजों को पानी पिला दिया।

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एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने हाल ही में अपने डेब्यू टेस्ट मैच को याद किया और उसके बाद लगाये गये 3 शतक के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि डेब्यू से पहले तक उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल तक नहीं किया जा रहा था।

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 मैच से ठीक पहले टीम में किया था शामिल

मैच से ठीक पहले टीम में किया था शामिल

अपने डेब्यू टेस्ट और फिर लगातार 3 मैचों में लगाए गए शतक को याद करते हुए अजहर ने बताया कि कैसे उन्हें मैच से ठीक पहले प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मुझे खेल शुरू होने से केवल 45 मिनट पहले अपने खेलने के बारे में पता चला। मैं बहुत घबरा गया था। हालांकि, मुझे विश्वास था कि पिछले तीन-चार महीनों (घरेलू क्रिकेट में) में मेरा बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है। मैं रणजी ट्रॉफी में दोनों पारियों में शतक बनाने के बाद यहां हूं। आत्मविश्वास था, लेकिन मुझे लगता है कि चयनकर्ताओं को भी मुझ पर बहुत भरोसा था। चंदू बोर्डे सर (तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता) ने जोर देकर कहा कि मुझे खेलना चाहिए।'

दो टेस्ट के लिए 12वां खिलाड़ी था

दो टेस्ट के लिए 12वां खिलाड़ी था

मोहम्मद अजहरुद्दीन ने बताया कि उस वक्त खराब फॉर्म के चलते कपिल देव को टीम से बाहर बिठाया गया था। उससे पहले खेले गये 2 टेस्ट मैच में मैं 12वें खिलाड़ी के तौर पर टीम में शामिल था।

उन्होंने बताया, 'मैं पहले दो टेस्ट के लिए 12 वां खिलाड़ी था। इसलिए मैं कम से कम यह समझ रहा था कि टेस्ट क्रिकेट कैसे खेला जाता है और मानसिक रूप से तैयारी कैसे की जाती है। मैंने देखकर बहुत कुछ सीखा। मैं सनी भाई (गावसकर) के साथ खेलने को लेकर भाग्यशाली महसूस कर रहा था। उस टीम में बहुत सारे महान खिलाड़ी थे - दिलीप भाई (वेंगसरकर), जिमी भाई (मोहिंदर अमरनाथ), किरी भाई (सैयद किरमानी)। कपिल पाजी उस मैच में नहीं थे, लेकिन मेरे पास बहुत से लोग थे जो मुझे सलाह दे सकते थे।'

खराब रोशनी में लगाया था पहला शतक

खराब रोशनी में लगाया था पहला शतक

उन्होंने उस मैच का जिक्र करते हुए कहा, 'पहली बार मैं इतनी बड़ी भीड़ के सामने खेल रहा था। गेंद चारों ओर स्विंग हो रही थी। दिसंबर के अंत में कलकत्ता बहुत ठंडा है। अंधेरा था। वर्ष के उस समय के दौरान प्रकाश बहुत कम हो जाता है। मैं भाग्यशाली था कि 322 गेंदें खेली और 10 चौके की मदद से 110 रन बनाए। यहां परिस्थितियां स्ट्रोक बनाने के लिए अनुकूल नहीं थीं। मुझे फोकस करना था, जो मैंने किया और दिन के अंत में मुझे एक शतक मिला। यह बहुत संतोषजनक रहा। यह नियति थी कि मैंने अपने पहले ही मैच में शतक जड़ा।'

आपको बता दें कि मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इस सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट की दूसरी पारी में 105 और कानपुर टेस्ट मैच की पहली पारी में 122 रनों की पारी खेली थी। ईडन गार्डंस की बात करें तो यहां पर अजहर ने अपने करियर में 7 टेस्ट में 107.50 की औसत से 860 रन बनाए, जिसमें पांच शतक शामिल हैं।

Story first published: Monday, July 20, 2020, 14:58 [IST]
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