नई दिल्ली। पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के इर्द-गिर्द घूमती हुए तीन वनडे मैचों की सीरीज का ऑस्ट्रेलिया में समापन हो गया। परिणाम भारत के पक्ष में 2-1 से रहा और टेस्ट के बाद वनडे में भी ऐतिहासिक जीत टीम इंडिया के नाम हुई। वनडे सीरीज पूरी तरह से धोनी के रंग में रंगी थी। धोनी ने बेहतरीन संयम का परिचय देते हुए एक दिनी क्रिकेट में मैच फिनिशिंग कला का बेमिसाल नमूना पेश किया। सीरीज से पहले धोनी की उम्र और उनके खेल में आई गिरावट को लेकर काफी बातें की गई। अब सीरीज के समाप्त होने के साथ ही ये बातें भी समाप्त हो गई।
धोनी इस सीरीज के सबसे बड़े बल्लेबाज बनकर उभरे हैं। उन्होंने तीनों मैच में अर्धशतक जड़े जिसमें दो मैचों में मैच जिताऊ नाबाद पारी खेली। उन्होंने सीरीज के तीन मैचों में कुल 193 औसत बनाए और इतना ही उनका औसत भी रहा क्योंकि वे एक ही बार आउट हुए थे। धोनी ने सिडनी में 51, एडिलेड में 55 नाबाद और मेलबर्न में 87 नाबाद रनों की पारियां खेली थी। मेलबर्न में खेली गई 87 रनों की पारी के बाद धोनी ने अपने नाम भी एक शानदार रिकॉर्ड नाम कर लिया। इस पारी के साथ ही भारत ने मैच जीता और धोनी बन गए भारत की ओर से ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर एक हजार रन बनाने वाले चौथे भारतीय। जी हां धोनी वनडे क्रिकेट में भारत की ओर से 1,000 रन बनाने के मामले में सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और रोहित शर्मा की फेहरिस्त में शामिल हो गए।
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मेलबर्न में खेले गए अंतिम मैच में धोनी को ये कीर्तिमान बनाने के लिए केवल 36 रन चाहिए थे। उन्होंने ना केवल ये रिकॉर्ड पूरा किया बल्कि बेहरतरीन फिनिशिंग करते हुए भारत को जीत भी दिलाई। धोनी भारत के लिए तब बल्लेबाजी करने आए थे जब टीम की थोड़ी अस्थिर हालत में थी। शिखर धवन के आउट होने के बाद भारत का स्कोर 16.2 ओवर में 59 रन था। धोनी ने कोहली (46) और केदार जाधव (61) के साथ बड़ी साझेदारी में भी अहम भूमिका निभाई। जाधव के साथ तो धोनी की 121 रनों की अटूट साझेदारी हुई थी।